मुलायम के करीबी विधायक ने दिया सपा से इस्तीफा
उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में विधायकों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है और इस कड़ी में पार्टी के एक और विधायक ने आज त्यागपत्र दे दिया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश विधान परिषद् सदस्य, अशोक बाजपेयी, जो कि सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं, ने आज त्यागपत्र दे दिया।
इसके पहले 29 जुलाई को सपा के दो विधान परिषद् सदस्य क्रमशः बुक्कल नवाब और यशवंत सिंह इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो चुके हैं। इसी दिन, बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधान परिषद् सदस्य जयवीर सिंह नें भी इस्तीफा दिया था और बाद में BJP का दामन थाम लिया था।
4 अगस्त को एक और सपा विधान परिषद् सदस्य सरोजिनी अग्रवाल, जो कि मेरठ की एक प्रतिष्ठित चिकित्सक भी हैं, भी अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे कर BJP में शामिल हो गई थीं।
इन सभी ने सपा में अखिलेश यादव के अध्यक्ष बनने के उपरांत मुलायम की तथाकथिक अनदेखी और उपेक्षा का हवाला देकर इस्तीफा दिया था। बहरहाल, इस इस्तीफे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत उनके मंत्रिमंडल के पांच सदस्यों के लिए उत्तर प्रदेश सदन के सदस्य बनने का रास्ता साफ हो गया है।
जहां योगी गोरखपुर से संसद हैं, वहीं प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या फूलपुर (इलाहाबाद) से सांसद हैं। एक अन्य उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश के दो अन्य मंत्री क्रमशः स्वतन्त्र देव सिंह और मोहसिन राजा भी अभी तक उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों में से किसी के भी सदस्य नहीं हैं। नियमों के मुताबित, मंत्रिमंडल के सदस्य को किसी भी एक सदन का 6 महीने के भीतर सदस्य होना अवश्यक है। चूंकि योगी मंत्रिमंडल नें 19 मार्च को शपथ ग्रहण किया था, इसलिए इन पांचों के पास 18 सितम्बर तब का समय है कि वो बिना विधान सभा का चुनाव लडे भी विधान परिषद् का सदस्य बन जाएं।
भाजपा की रणनीति है कि वो विपक्ष को विधान सभा के चुनाव में एकजुटता का कोई भी मौका न दे, फिर भी उनके मंत्रिमंडल के सदस्य सदन का हिस्सा बन जाएं। अब विधान परिषद् के पांच रिक्तियों के आधार पर पार्टी अपने शीर्ष नेताओं को सदन में भेज सकती है।
वहीं सूत्रों के मुताबिक, सपा से कई और विधान परिषद् सदस्य, जो कि शिवपाल सिंह यादव के नजदीकी हैं, इस्तीफा दे सकते हैं।