Advertisement
06 July 2015

तो लॉटरी से दो साल में रिटायर होंगे एमएलसी!

संजय रावत

प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विधान परिषद के लिए कल होने वाले चुनावों पर रोक लगाने से इंकार करते हुए निर्वाचन आयोग का यह सुझाव स्वीकार कर लिया कि निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण लाटरी के माध्यम से किया जा सकता है। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, हम उच्च न्यायालय के आदेश के उस अंश पर रोक लगाते हैं जिसमे उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि निर्वाचन आयोग बिहार विधान परिषद से परामर्श करके स्थानीय निकायों के लिए निर्धारित 24 सीटों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल और दूसरे एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल चार साल और शेष सदस्यों का कार्यकाल छह साल निर्धारित करने के लिए 30 जून, 2015 तक अधिसूचना या संशोधन जारी करे।

निर्वाचन आयोग ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा, निर्वाचन आयोग का मानना है कि यदि यह न्यायालय व्यवस्था देता है कि विधान परिषद के एक तिहाई सदस्यों को अनुच्छेद 172 के अनुरूप सेवानिवृत्त होना है और यह विधान परिषद के मौजूदा चुनाव (स्थानीय निकायों, पंचायत, नगर परिषद और निगमों द्वारा चुने गए प्रत्याशियों) के लिए प्रत्याशियों की श्रेणी पर भी लागू होना चाहिए तो चुनाव के बाद आयोग इस न्यायालय के निर्णय या निर्देशों के अनुरूप निर्वाचित सदस्यों को लाटरी के माध्यम से तीन श्रेणियों (दो साल, चार साल और छह साल के कार्यकाल) में वर्गीकृत करेगा।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित करते हुए स्पष्ट किया कि उसका फैसला विशेष अनुमति याचिकाओं पर उसके अंतिम नतीजे के दायरे में आयेगा। इससे पहले, न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को ऐसे सुझाव देने के लिए कहा था जिन्हें विधान परिषद के 24 सदस्यों के कार्यकाल का फैसला करते समय अपनाया जा सके। उच्च न्यायालय द्वारा इन 24 सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल निर्धारित करने के फैसले से कानूनी गतिरोध उत्पन्न हो गया था।

Advertisement

परिषद ने अपनी याचिका में कहा था कि पहले बिहार विधान परिषद में भी राज्यसभा की तरह ही हर दो साल बाद एक तिहाई सदस्यों के सेवानिवृत्त होने की संवैधानिक व्यवस्था थी लेकिन 1978 से 2002 के दौरान स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं हुए और इस वजह से स्‍थानीय जन प्रतिनिधियों द्वारा चुनी जाने वाली सभी 24 सीटें रिक्त रहीं। अंतत: स्थानीय निकायों के चुनाव 2003 में हुए और इस तरह 17 जुलाई, 2003 से छह साल के लिए विधान परिषद के इन 24 सदस्यों का निर्वाचन आरंभ हुआ मगर यहां उस संवैध‌ानिक व्यवस्‍था का पालन नहीं हो पाया कि एक तिहाई सीटें हर दो साल में खाली हो जाएंगी क्योंकि कानूनन हर सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष होना भी जरूरी है। छह वर्ष बाद 2009 में फिर चुनाव हुए और इस बार भी दो साल पर सेवानिवृति की शर्त पूरी नहीं हो पाई। अब इस मुद्दे पर ध्यान दिया जा रहा है। पटना उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर अपने आदेश में कहा कि परिषद के सदस्यों के लिए इस तरह से चुनाव होना चाहिए कि प्रत्येक एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल सुनिश्चित किया जा सके।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: बिहार विधान परिषद, चुनाव, उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय, चुनाव अायोग, Bihar Legislative Council election, the Patna High Court, Supreme Court, election commission
OUTLOOK 06 July, 2015
Advertisement