'छतरपुर के मांझी' बने 70 साल के ये बुजुर्ग, लोगों के लिए खोदा कुआं
उम्र के जिस पड़ाव में शरीर को आराम की जरुरत होती है, उस उम्र में मध्य प्रदेश के सीताराम राजपूत बिना थके-हारे गांव को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कुआं खोद रहे हैं।
70 साल के सीताराम किसी मिसाल से कम नहीं, हालांकि उनके इस काम में सरकार तो दूर ग्रामीणों ने भी मदद नहीं की। जबकि गांव में पिछले ढाई साल से पानी की किल्लत मची हुई है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मामला छतरपुर के हदुआ गांव का है, जहां पिछले ढाई साल से पानी की गंभीर समस्या है। गांव के लोग पानी को तरसते रहे और सरकार को कोसते रहे। उधर सरकार के भी कान में जूं नहीं रेंगी और न ही ग्रामीणों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय किया गया। ऐसे में 70 साल के सीताराम राजपूत ने गांव में पानी की कमी को दूर करने के लिए खुद अकेले दम पर कुआं खोदना तय किया।
वह बताते हैं, 'न ही सरकार और न ही गांव के किसी व्यक्ति ने उनकी मदद की।' हालांकि अपनी हिम्मत और जज्बे के बल पर सीताराम ने जो कर दिखाया है उससे गांव वाले अब उन पर गर्व कर रहे हैं।
MP: 70-yr-old Sitaram Rajput from Hadua village in Chhatarpur, is single handedly digging out a well to help solve water crisis in village, which the region has been facing since last 2 & a half years, says, 'No one is helping, neither the govt nor people of the village'. pic.twitter.com/u5dadJYrAq
— ANI (@ANI) May 24, 2018
पूरा इलाका पथरीला होने के कारण असिंचित जमीन में परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल था, ऐसे में सीताराम ने अपने परिवार के साथ मिलकर एक कुआं खोदा जिसमें पानी तो निकला लेकिन इतना पर्याप्त नहीं था की खेतों में सिंचाई हो सके।
इसके बाद फिर दूसरा कुआं सारे परिवार ने खोदा इसमें भी जिद सीताराम राजपूत की थी। कुआं तो खोदा गया लेकिन इस बार भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और कुंए में पत्थर निकल आया अब सीताराम के सारे परिवार ने हार मान ली थी लेकिन सीताराम कहां हार मानने वाले थे, जब उन्होंने घर वालों से कहा तो सब नाराज हो गए, क्योंकि न ही परिवार के पास मजदूरी देने को पैसा था और न ही उन्हें पानी निकलने की उम्मीद।
ऐसे में परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया सब नाराज थे, गांव के लोग पागल कहने लगे लेकिन सीताराम अपने कर्म पथ पर अकेले ही निकल पड़े। रोज अकेले जितना हो सकता खुदाई करते और खुद ही मिटटी फेंकते, मन में सिर्फ एक सहारा था खुद पर आत्मविश्वाश और ऊपर वाले पर भरोसा। वो बस ‘छोड़िए न हिम्मत बिसारिए न राम’ इस बात को रटते रहे, गहराई होती गई और लगभग डेढ़ साल के अंतराल के दौरान आखिर लगभग 30 फिट गहराई में पानी निकाला। इस 71 वर्ष के बुजुर्ग ने अपनी हिम्मत और जज्बे से वो कर दिखाया जिसकी वजह से आज न सिर्फ उनके घर वालों , गांव के लोगों, बल्कि सारे इलाके को उनपर नाज है।