कम नहीं हैं नये डीजीपी की चुनौतियां, 11 माह बाद झारखण्ड को मिला पूर्णकालिक पुलिस महानिदेशक
रांची। 11 माह के प्रभारी पुलिस महानिदेशक के बाद झारखण्ड को नीरज सिन्हा के रूप में नया पुलिस महानिदेशक मिल गया है। गुरुवार की रात उनकी पोस्टिंग का आदेश हुआ और शुक्रवार को उन्होंने पदभार भी ग्रहण कर लिया। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से शिष्टाचार मुलाकात भी की। उम्मीद पर खरा उतरने का वादा भी किया। 1987 बैच के नीरज सिन्हा झारखण्ड के ही साहिबगंज जिला से आते हैं। वे जैप ( झारखण्ड आर्म्ड फोर्स) के डीजी थे और एसीबी ( एंटी करप्शन ब्यूरो) के डीजी का काम अतिरिक्त प्रभार के रूप में संभाल रहे थे। इन्हीं के कार्यकाल में हेमन्त सरकार ने रघुवर सरकार के कई घोटालों को भी एसीबी के हवाले किया। डीजीपी की कुर्सी संभालते ही उन्होंने कहा कि उग्रवाद एवं अपराध पर नियंत्रण और आम आदमी के मन से अपराध के प्रति भय को खत्म करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। हालांकि दुष्कर्म की घटनाओं, उग्रवाद एवं अपराध पर नियंत्रण, कोयला और खनन माफिया पर लगाम नीरज सिन्हा की चुनौती होगी जिनसे निबटना आसान नहीं है। हाल वर्ष में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की विभत्स घटनाओं में इजाफा हुआ है वहीं कोरोना काल में उग्रवादी संगठनों की दबिश शहरी इलाकों में बढ़ी है। अफीम का फसल तैयार होने को है, पत्थलगड़ी के नाम पर इसके संरक्षक सिर उठाने लगे हैं। अवैध खनन का सिंडिकेट भी सक्रिय है। समझदारी के साथ इन पर हाथ डालना होगा।
नीरज सिन्हा झारखण्ड कैडर के दूसरे वरीयतम आइपीएस अधिकारी हैं। वे अगले साल जनवरी में अवकाश ग्रहण करेंगे जबकि उनसे वरीय पूर्व डीजीपी केएन चौबे इसी साल अगस्त में सेवानिवृत्त होंगे। रघुवर सरकार में पुलिस महानिदेशक रहे केएन चौबे को रघुवर सरकार के जाने के बाद कानून-व्यवस्था के नियंत्रण में विफल बताते हुए हटाया गया था। उसके बाद 16 मार्च 2020 से ही एमवी राव प्रभारी पुलिस महानिदेशक के रूप में काम कर रहे थे। हेमन्त सरकार एमवी राव को पूर्णकालिक डीजीपी बनाना चाहती थी मगर पैनल में नाम नहीं होने के कारण वे पूर्णकालिक डीजीपी नहीं बना सकी। इस मुद्दे पर राज्य सरकार और यूपीएससी के बीच पत्र युद्ध भी चलता रहा।
दुष्कर्म की घटनाओं के कारण एमवी राव का कार्यकाल बदनामी वाला रहा, हालांकि कुछ बड़े नक्सलियों को किनारे लगाया गया। उन्हीं के कार्यकाल में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के काफिले पर हमला हुआ। आततायियों को आयरन हैंड से कुचलने और उसी स्थान पर हाथ-पैर तोड़ देने जैसे चर्चित बयान भी आये। सत्ता के करीबी मानते हैं कि हेमन्त सोरेन के काफिले पर हमले से सरकार की बदनामी हुई मगर आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी मगर बात बयानवाजी से ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी।
छलका एमवी राव का दर्द
जाते, जाते प्रभारी डीजीपी एमवी राव का दर्द भी छलका। ट्वीट कर उन्होंने कहा कि ऐसे तमाम लोगों का आभारी हूं जिन्होंने डीजीपी के रूप में कर्तव्य निर्वहन के दौरान सतर्क किया, बेहतर करने के लिए आलोचना की, मेरे काम की सराहना की। आभारी उनका भी हूं जिन्होंने मुझे मजबूत बनाने के लिए जहर उगले।
तीन बार लौटा पैनल
प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार एवं अन्य मामले में सुप्रीमो कोर्ट ने 2018 में ही राज्यों में प्रभारी पुलिस महानिदेशक बनाने पर रोक लगा दी थी। और डीजीपी के लिए यूपीएससी के पैनल से नियुक्ति की अनिवार्यता है। राज्य सरकार पांच आइपीएस अधिकारियों की सूची भेजती है जिसमें से यूपीएससी तीन नामों का पैनल स्वीकृत करता है। इससे इतर केएन चौबे को हटाने के बाद राज्य सरकार ने पैनल से बाहर के एमवी राव को प्रभारी पुलिस महानिदेशक बना दिया। पूर्व में यूपीएससी की सूची में वीजी देशमुख, केएन चौबे और नीरज सिन्हा का नाम था। केएन चौबे को हटाने के बाद एमवी राव का नाम शामिल करते हुए नया पैनल के लिए पांच अधिकारियों का नाम यूपीएससी को भेजा था। इस बीच देशमुख अवकाश ग्रहण कर चुके थे। मगर यूपीएससी ने तकनीकी कारणों से नये पैनल के प्रस्ताव को नकार दिया। इस कारण एमवी राव का नाम सूचीबद्ध नहीं हो सका। हालांकि एमवी राव वाले पैनल के लिए राज्य सरकार ने कोई तीन बार यूपीएससी को पत्र लिखा। इस मसले पर यूपीएससी और राज्य सरकार के बीच टसल सतह पर आ गया मगर नये पैनल को मंजूरी नहीं मिली। अंतत: 11 माह एमवी राव को प्रभारी पुलिस महानिदेशक रखने के बाद उन्हें चलता कर दिया गया। वे वापस महासमादेष्टा होमगार्ड एवं अग्निशमन सेवाएं के पद पर लौट आये हैं। वे इसी साल सितंबर माह में अवकाश ग्रहण करेंगे।