सीएए के खिलाफ केरल विधानसभा में पारित प्रस्ताव की संवैधानिक वैधता नहींः राज्यपाल
केरल विधानसभा में मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था। अब इस पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि इस पारित प्रस्ताव की न तो कोई कानूनी वैधता है और न ही यह संवैधानिक है।
राज्यपाल ने गुरुवार को कहा कि नागरिकता केंद्र सरकार का विषय है। इससे राज्य का कोई लेना देना नहीं है। इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा था कि राज्यों को नागरिकता कानून लागू करना ही होगा। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकारों के लिए संवैधानिक प्रावधान भी बताए। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि राज्य विधानसभाओं के अपने विशेषाधिकार हैं।
प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य
केरल विधानसभा ने मंगलवार को यह प्रस्ताव पारित किया था, ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य था। इस दौरान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था, 'केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का लंबा इतिहास है। हर कोई हमारी भूमि पर पहुंच गया। ईसाई और मुसलमान शुरुआत में केरल पहुंचे। हमारी परंपरा समावेशी है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनेगा।'
कांग्रेस, वामदलों दलों ने किया समर्थन
विधानसभा में विधानसभा में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम) सहित विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ लाए प्रस्ताव का समर्थन किया था। हालांकि भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया था। केरल विधानसभा में भाजपा का सिर्फ एक विधायक है। बता दें कि नया कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता देता है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।