अच्छा नहीं ‘गा’ पाए तो हुई हत्या, गांव छोड़ चुके मुस्लिम परिवारों को अब 'रोटी' के लाले
राजस्थान के जैसलमेर जिला प्रशासन की ओर से बनाए गए अस्थाई शिविर में रह रहे 20 मुस्लिम परिवार के लगभग 150 लोग वापस अपने गांव नहीं लौटना चाहते। जिला प्रशासन ने उनके लिए जैसलमेर में अस्थाई शिविर बनाकर उनके रहने की व्यवस्था की, लेकिन दो दिनों से बजट नहीं होने की बात कहकर इन लोगों को भोजन उपलब्ध नहीं कराया।
दरअसल पश्चिमी राजस्थान के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम लोक गायकों के 20 परिवार को अपना गांव मजबूरन छोड़ना पड़ा है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार दंतल नाम के गांव में एक मुस्लिम लोक गायक आमद खान की कथित तौर पर इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह अच्छा गा नहीं पाए।
आरोप है कि 27 सितंबर को गांव के एक पुजारी रमेश सुथार और उसके भाइयों ने आमद खान की इसलिए हत्या कर दी कि वे नवरात्र के दौरान एक मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में अच्छा नहीं गा सके। कार्यक्रम के अगले दिन उनका शव उनके घर के सामने पड़ा मिला।
डायचे वेले के मुताबिक, आमद खान लंगा मांगणियार समुदाय से ताल्लुक रखते थे, जो पीढ़ियों से हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों और मंदिरों में भजन गाते हैं। कार्यक्रम के दौरान पुजारी ने अहमद खान से भजन बदलने की बात कही, जिसे लेकर झगड़ा बढ़ गया।
पुलिस ने कहा कि पुजारी रमेश सुथार और उसके साथियों ने पहले आमद खान के वाद्य यंत्र तोड़े फिर उसकी हत्या कर दी।
गांव के राजपूतों पर आरोप है कि उन्होंने आमद खान के परिवार को धमकी दी थी कि अगर उसने एफआइआर करवाई तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। इसके बाद परिवार ने खान के शव को चुपचाप दफ़ना दिया था। हालांकि बाद में रमेश सुथार और उसके दो भाइयों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करा दिया। आरोपी रमेश तांत्रिक है। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जबकि उसका भाई फरार है।
घटना के बाद मिल रही धमकी की वजह से इन मुस्लिम परिवारों को मजबूरी में अपने घर छोड़ने पड़े। वे जिला प्रशासन के बनाए शिविर में शरण लिए हुए हैं। इन लोगों का कहना है कि वे गांव वापस नहीं जाना चाहते। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वह इन्हें किसी दूसरी सुरक्षित जगह भेज दे।
जिला कलेक्टर केसी मीणा ने नगर पालिका से परिवारों के लिए खाने की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन प्रशासन ने खाने का कोई इंतेजाम नहीं किया। जैसलमेर नगर पालिका के आयुक्त जबर सिंह का कहना है कि उनके पास विस्थापित परिवारों को खाना उपलब्ध कराने के लिए बजट नहीं है। ऐसे में खाना और अन्य सुविधाओं के अभाव के चलते महिलाएं और बच्चे सहित लगभग 150 लोग संकट में हैं।