रोहतांग जाना हुआ मुश्किल
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को हिम-अंचल टैक्सी ऑपरेटर यूनियन की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। यूनियन ने एनजीटी के, मनाली-रोहतांग राष्ट्रीय राजमार्ग पर पर्यटक वाहनों की संख्या कम करने के आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई है। यूनियन ने अपनी याचिका में कहा है कि एनजीटी के फैसले के कारण सभी मध्यम व छोटे वाहनों पर भारी प्रवेश शुल्क लगाए गए हैं। इससे उनकी आजीविका खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को याचिका पर हुई सुनवाई में ऑॅपरेटरों और लग्जरी कोच यूनियन को राहत नहीं मिली है। मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
मनाली में पर्यटन कारोबारी राजेश कुमार बताते हैं कि एनजीटी के इस फैसले के चलते रोहतांग जाने के लिए अब छोटी गाड़ियों को प्रतिदिन 1,000 और बड़ी गाड़ियों को 5,000 रुपये देने होंगे। पर्यटकों को अब टैक्सी के किराए के अलावा यह शुल्क भी देना होगा। ग्रुप टूअर्स के निदेशक यशोधर चौहान बताते हैं कि उनके पास पूरे देश से मनाली घूमने वाले लोग सिर्फ रोहतांग घूमने के लालच से ही आते हैं। मनाली यानी रोहतांग और अगर पर्यटक रोहतांग ही नहीं जा सकेंगे तो कोई मनाली आना ही नहीं चाहेगा। चौहान का यह भी कहना है कि प्राधिकरण ने रोहतांग जाने का समय भी निश्चित कर दिया है । अब पर्यटक सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही रोहतांग जा सकेंगे। इतने कम समय के लिए इतने सारे पैसे खर्च कर भला कोई रोहतांग क्यों जाना चाहेगा।
गौरतलब है कि रोहतांग एक दर्रा है जो स्नो प्वाइंट भी है। दुनिया भर में जून की भरी गरमी में भी यहां खूब बरफ मिलती है जहां सैलानी मौसम का खूब आनंद लेते हैं। पीर पंजाल की पहाड़ी पर रोहतांग दर्रे में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित एनजीटी ने अब इस पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। हालांकि रोहतांग में डीजल वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध को एनजीटी ने हटा लिया है, लेकिन अब टूरिस्ट सीजन में रोजाना एक हजार पर्यटक वाहन ही रोहतांग दर्रा पर जा सकेंगे।