अब कोरोना की तीसरी लहर बड़ी चुनौती, ग्रामीण इलाके और बच्चों में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा
कोरोना संक्रमण के गिरते ग्राफ के बीच ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के फैलाव की खबर पर पिछले एक सप्ताह से झारखण्ड सरकार का पूरा ध्यान गांवों पर केंद्रित हो गया है। टीका, जांच, इलाज जहां तक जैसे संभव हो उपाय किये जा रहे हैं। इसी बीच कोरोना के तीसरे लहर को लेकर भी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। पहले चरण में बुजुर्ग, दूसरे चरण में युवाओं के बाद तीसरे चरण में बच्चों पर संक्रमण के हमले का अनुमान लगाया जा रहा है। वैक्सीन की कमी के बीच अंडर 18 के लिए अभी कोई इंतजाम नहीं है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए काफी पहले ही हमने तैयारी शुरू कर दी है। पहले और दूसरे चरण के अनुभव से इससे मुकाबला करने में मदद मिलेगी। खुद रांची डीसी छवि रंजन ने तीसरे लहर की आशंका के आलोक में पहल करते हुए सदर अस्पताल का भ्रमण कर यहां चाइल्ड डेडिकेटेड कोविड वार्ड बनाने का एलान किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। डीसी ने सिविल सर्जन को 50-60 बेड के लिए तत्काल कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया।
कुछ निजी अस्पतालों का भ्रमण कर बच्चों के लिए व्यवस्था का जायजा लिया है। वहीं विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह ने कोरोना के तीसरे लहर और बच्चों पर संभावित असर और बचाव को लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ विमर्श किया है, रणनीति तैयार की है। प्रदेश भर में शिशु कोविड वार्ड बनवाने का निर्णय किया है। चिकित्सकों से राय ली कि दूसरी लहर से तीसरी लहर ज्यादा आक्रामक हुई तो पहले से किस तरह के इंतजाम किये जाने चाहिए। जांच, दवा, इलाज के लिए क्या व्यवस्था हो। तय हुआ कि संक्रमण से निबटने के लिए अलग-अलग कमेटियां गठित कर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जायेगी जो पहले से ही तैयारी में जुट जायेंगी।
इस बीच राज्य के बच्चों के लिए एक राहत वाली खबर है कि केंद्र सरकार जून के पहले सप्ताह में झारखण्ड में निमोनिया का स्वदेशी टीका लांच करने जा रही है। राज्य में हर साल बड़ी संख्या में बच्चों की मौत निमोनिया और सांस फूलने की वजह से हो जाती है। लंग्स पर असर होता है। कोरोना में भी लंग्स पर असर होता है। ऐसे में बच्चों को लेकर चिंता ज्यादा है। राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान, रांची के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिषेक रंजन कहते हैं कि निमोनिया के लिए जून से पहले सप्ताह में प्रारंभ होने वाले टीकाकरण अभियान से बच्चों में रोग निरोध क्षमता बढ़ने और कोविड के बाद बैक्ट्रियल संक्रमण से लड़ने में काफी हद तक मदद मिलेगी। निमोनिया के शमन के लिए पहली बार सरकारी टीकाकरण की खातिर स्वदेशी वैक्सीन लांच की गई है। राट्रीय स्वास्थ्य मिशन इसके लिए जिला प्रोग्राम अधिकारियों और नर्सों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दिलवा चुका है। पहले प्राइवेट डॉक्टरों से महंगे वैक्सीन के कारण बड़ी संख्या में गरीब परिवारों के बच्चे इससे वंचित रह जाते थे। निमोनिया के नये टीकाकरण से कुछ राहत की उम्मीद की जा सकती है।