मिलिए 'ओडिशा के सोनू सूद' से, जो लॉकडाउन में प्रावासियों और संकट में फंसे लोगों की कर रहे हैं मदद
ये सब्यसाची मिश्रा के लिए जीवन बदलने वाला अनुभव रहा है। तीन महीने से अधिक समय से वो बॉय-नेक्स्ट-डोर इमेज वाले लोकप्रिय ओलिवुड अभिनेता बने हुए हैं। सब्यसाची मिश्र कोविड संकट में राशन और चिकित्सा आपूर्ति से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। इस वक्त उनका यही एक मिशन कोरोना वायरस महामारी के कारण संकट में उन लोगों की देखभाल करना और उन्हें राहत देना है। साथ ही कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन में ओडिशा राज्य के बाहर फंसे छात्रों और प्रवासी मजदूरों की वापसी करा रहे हैं। उन्होंने इस मद में लगभग 15 लाख रुपए खर्च किए हैं। लेकिन, सैकड़ों लोगों की गहरी- कृतज्ञता ने उनकी मदद और बढ़ाया और वास्तविक जीवन के 'हीरो' की तलाश कर रहे लाखों ओडिशा के लोगों ने "ओडिशा के सोनू सूद" को पा लिया।
आउटलुक के साथ टेलिफोनिक बातचीत के दौरान ही सब्यसाची मिश्रा ने हैदराबाद में फंसे एक व्यक्ति से बात करने के लिए कुछ मिनटों के लिए बातचीत को रोक दिया। दरअसल, ओडिशा में एक गंभीर बीमार मां सब्यसाची की मदद से ठीक हो पाईं। आभार व्यक्त करने के लिए उस मां के बेटे ने सब्यसाची को फोन कर जानकारी दी कि उन्हें मां बात करने और आशीर्वाद देने के लिए उत्सुक है और एक वीडियो कॉल के जरिए उनसे बात करने का अनुरोध कर रही हैं। जिसके बाद सब्यसाची ने वादा किया कि वो जरूर बात करेंगे।
ओडिशा के एक्टर सब्यसाची का ये मदद करने का सफर धारित्री नाम की एक लड़की की वजह से शुरू हुआ, जब मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन की घोषणा हुई थी। धारित्री मुंबई में फंसी हुई थी और उन्होंने इस संकटकाल में सब्यसाची को कॉल किया। धारित्री राज्य के गंजम जिले के पोलसारा में अपनी बीमार मां से मिलना चाह रही थी। तब से ये कारवां शुरू हो गया। जिसके बाद उन्होंने सैंकड़ों जरूरतमंद लोगों की मदद की है। राजस्थान के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के 70 से अधिक ओडिया छात्रों की वापसी की व्यवस्था की, जिसके बाद उनके कामों की काफी सराहना हुई। इनमें से लगभग 60 सिर्फ लड़कियाँ थीं।
आउटलुक से बातचीत में सब्यसाची बताते हैं, “एक अभिनेता के रूप में मेरे पास पहले से ही बडे पैमाने पर फैंस हैं जिनसे मैं नियमित रूप से बातचीत करता था। शुरुआत में, मैं फैंस द्वारा मदद की दलीलों को नजरअंदाज करता था क्योंकि मुझे लगता था कि मैं बहुत कुछ नहीं कर सकता हूं। लेकिन, थोड़े दिनों बाद, मुझे मेरे अंतरात्मा ने परेशान कर दिया और मुझे लगा कि कम-से-कम मैं ऐसा कर सकता हूं कि मैं उन लोगों से बात करूं और उनकी पीड़ा को सुनकर उन्हें राहत पहुंचाने में मदद करूं। हालांकि, ऐसा कोई तरीका नहीं था जिससे मैं बस इतना ही तक रुक सकूं। एक चीज दूसरों के लिए प्रेरित करती है और मैं उसमें पूरी तरह से डूब जाता हूँ।”
अब तीन महीनों से पर्दे का हीरो वास्तविक जीवन के नायक की भूमिका में व्यस्त है। लोगों को राहत और मदद पहुंचाने की वजह से वो अक्सर भोजन, स्नान और नींद भी भुल जाते हैं। वो कहते हैं, "मेरी माँ मुझे खिलाती हैं जब मैं मदद या अन्य कार्यों के लिए लोगों का कॉल लेता हूं। हमने इसके लिए एक अलग से फोन नंबर रखा है जिसपर हर दिन दर्जनों फोन आते हैं। सभी फोन को मैं खुद अटेंड करता हूं।
सब्यसाची कहते हैं कि लोगों की मदद कर वो बदले में मिले उदार से वो अभिभूत हैं। वो अजनबी लोगों की भी मदद कर रहे हैं, जो संकट में हैं। आगे वो कहते हैं, “मदुरै में एक बस मालिक ने स्वेच्छा से अपनी बस को आधे दाम पर दे दिया है ताकि ओडिया के मजदूरों को वापस राज्य लाया जा सकें। इसी तरह से जब कानपुर के पास प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने वाली एक बस में कुछ खामियां आ गई थी, उनके ट्वीट करते ही एक घंटे के भीतर तीन अलग-अलग समूह भोजन, पानी और टेंट के साथ हाजिर हो गए। जब मैंने उनसे पूछा कि इसके बदले कितना भुगतान करना होगा। तो उनलोगों ने कहा कि क्या आपको लगता है कि हम इसके लिए पैसे लेंगे? इसकी कोई जरूरत नहीं है। मुझे एहसास हुआ कि मानवता ने इस निर्दई आधुनिक दुनिया के सभी दृष्टिकोणों को जीवित रखा है।''
कोरोनो वायरस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से फिल्म उद्योग एक है। चार महीनों के लिए सभी काम रुके हुए हैं। महामारी के कारण सब्यसाची खुद भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। उनके पास कम-से-कम तीन फिल्म के ऑफर थे, लेकिन अभी सब बंद है। मई में सिनेमाघरों में आने वाली एक तेलुगु फिल्म की रिलीज को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है। अगली ओडिया फिल्म कब आएगी, इसका कोई पता नहीं है। लेकिन अभी, फिल्में अभिनेता के दिमाग से सबसे दूर हैं। लेकिन अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वायरस संकट जल्दी खत्म नहीं होने वाला है। सब्यासची कब तक इन कामों को करते रहेंगे? इस सवाल पर वो कहते हैं, “मैं उस बारे में नहीं सोच रहा हूँ। मैं जो कर रहा हूं, जब तक करूंगा, करता रहूंगा। इसमें शामिल होने के दौरान मैंने कुछ भी योजना नहीं बनाई थी। और न ही मैं अब ऐसा करने का प्रस्ताव करता हूं। ईश्वर ने मुझे बहुत आगे पहुंचा दिया है और मुझे यकीन है कि वह आगे के दिनों में भी मेरा नेतृत्व करेंगे।"