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31 May 2018

कैराना-नूरपुर में जिन्ना पर भारी पड़ रहा गन्ना, दोनों सीटों पर गठबंधन जीता

File Photo

कैराना में जीत हासिल कर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की तबस्सुम हसन ने न सिर्फ विपक्षी एकता का इम्तिहान पास किया बल्कि वह उत्तर प्रदेश से वर्तमान लोकसभा के लिए चुनी गईं एकमात्र मुस्लिम सांसद बनीं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को 44,618 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया। तबस्सुब पहले बसपा में थी और चुनाव के पहले रालोद में शामिल हुईं थी। उनके बेटे नाहिद हसन ने विधानसभा चुनाव में मृंगाका सिंह को हराया था। इस तरह देखा जाए तो, कैराना से  अजित सिंह और जयंत चौधरी की पार्टी  रालोद भाजपा पर भारी पड़ी। फूलपुर-गोरखपुर लोकसभा सीट के बाद कैराना सीट भी भाजपा के हाथ से फिसल गई। लोकसभा में भाजपा की वर्तमान स्थिति पर काफी फर्क पड़ने वाला है। वहीं नूरपुर में सपा ने जीत दर्ज की है। यहां समाजवादी पार्टी के नईमुल हसन ने 5,662 वोटों से जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार अवनी सिंह को हराया। 

पश्चिमी यूपी ने 2014 में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। मुजफ्फरनगर दंगों का यहां असर पड़ा था। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आरोप-प्रत्यारोप हुए जिसके बाद भाजपा के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी। उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुए और भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा। भाजपा को सहानुभूति वोट की भी उम्मीद थी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी यहां सभा की और पिछले दिनों पीएम मोदी ने नजदीक के जिले बागपत में रैली कर यहां के वोटरों को लुभाने की कोशिश की।

विपक्षी एकता का इम्तिहान

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कैराना में भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट हुआ और सपा-कांग्रेस-बसपा ने रालोद को समर्थन दिया था, जिसका असर देखने को मिल रहा है। नतीजतन, रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन बड़े अंतर से जीत हासिल कर ली हैं। इसे विपक्षी एकता के इम्तिहान के तौर पर भी देखा जा रहा है और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि क्षेत्रीय दलों की आगामी चुनावों में क्या भूमिका रहने वाली है और वे सब मिलकर भाजपा पर भारी पड़ सकते हैं। कांग्रेस ने भी क्षेत्रीय दलों के साथ जाने की रणनीति अपनाई है, जिस पर फिलहाल वह सफल होती दिखाई दे रही है।

जिन्ना पर भारी गन्ना

यहां गन्ना किसानों का मुद्दा हावी रहा। पिछले दिनों बागपत में एक गन्ना किसान की मौत हो गई थी। इसे लेकर काफी नोक-झोंक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागपत में रैली कर गन्ना किसानों को लुभाने की कोशिश की थी लेकिन उसका खास असर यहां देखने को नहीं मिल रहा है।

पिछले दिनों अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद हुआ था, जिसे लेकर भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगा। कहा गया कि इससे कैराना के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन जाहिर है जिन्ना पर गन्ना हावी है।

ईवीएम पर सियासत

कैराना में बड़े स्तर पर ईवीएम में खराबी की शिकायतें आई थीं, जिसके बाद कई बूथों पर पुनर्मतदान भी हुआ। इसे लेकर सियासत भी गरम रही। सपा-रालोद ने चुनाव आयोग से शिकायत भी की थी और भाजपा पर ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे।

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TAGS: Opposition alliance, uttar pradesh, kairana, lok sabha, 2019, lok sabha election
OUTLOOK 31 May, 2018
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