इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, अब डीएनडी पर नहीं लगेगा टोल टैक्स
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजीडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका का अनुरोध स्वीकार किया। वर्ष 2012 में दायर जनहित याचिका में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा उपयोगकर्ता शुल्क के नाम पर टोल लगाने और संग्रहण को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने आठ अगस्त को इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सौ से अधिक पेज के फैसले में अदालत ने कहा कि जो उपयोगकर्ता शुल्क वसूला जा रहा है उसे नोएडा टोल ब्रिज कंपनी, इस परियोजना के प्रमोटर और डेवलपर, इंफ्रास्ट्रक्चर लीनिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज और नोएडा प्राधिकरण से जुड़े वे कानूनी प्रावधान समर्थन नहीं देते जिनके आधार पर यह शुल्क लिया जा रहा है।
फैसले में कहा गया कि यात्रियों पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाना और वसूलना उप्र औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। अदालत ने कहा कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के अपने वित्तीय लेखा-जोखा से साफ है कि उसने योजना शुरू होने से लेकर 31 मार्च 2014 तक टोल आय से करीब 810.18 करोड़ रूपये वसूले और संचालन एवं रखरखाव खर्च तथा कॉरपोरेट आयकर हटाने के बाद यह राशि 578.80 करोड़ रूपये है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अत: हम इस बात पर संतुष्ट हैं कि कंपनी अब नोएडा टोल ब्रिज डीएनडी फ्लाईओवर के यात्रियों से उपयोगकर्ता शुल्क वसूल नहीं सकती। हाईकोर्ट के इस फैसले टोल ब्रीज का उपयोग करने वाले लाखों यात्रियों को फायदा होगा। हालांकि इस फैसले के बाद टोल ब्रीज पर गाड़ियों का अतिरिक्त बोझ बढ़ने की संभावना है।