गुरदासपुर से अगवा हुए एसपी ने दी सफाई
सलविंदर का कहना है कि 15 दिन पहले एडीजीपी पंजाब (लॉ एंड ऑर्डर) की आतंकी हमले की चेतावनी के बावजूद वह देर रात बिना सुरक्षाकर्मियों के इसलिए चले गए क्योंकि नए वर्ष पर वह धार्मिक जगह पर सुरक्षा कर्मियों के साथ जाना नहीं चाहते थे। उनका कहना है कि रास्ते में उन्हें पुलिस के कुछ नाके मिले। दीनानगर के पास सेना की वर्दी में चार-पांच लोगों ने उनकी गाड़ी को रोका तो राकेश जो कि सलविंदर का दोस्त है, ने गाड़ी रोक दी।
सलविंदर के अनुसार आतंकियों ने इन्हें तेजी से धकेला, गाड़ी के अंदर की लाइट्स बंद करने के लिए कहा। इनके हाथ बांधकर इनके सिर नीचे करवा दिए। एसपी के अनुसार आधा घंटा गाड़ी चलाने के बाद उन्होंने सलविंदर को जंगल में फेंक दिया। सभी आतंकी आपस में हिंदी और उर्दू में बात कर रहे थे। सलविंदर को जंगल में फेंकने के बाद राकेश के जरिये आतंकियों को पता लगा कि सलविंदर पंजाब पुलिस में एसपी है, इस जानकारी के बाद वह वापस सलविंदर को मारने आए लेकिन सलविंदर वहां से भाग चुके थे। इस बीच आतंकियों ने राकेश और सलविंदर के मोबाइल फोन छीनकर पाकिस्तान अपने आकाओं से बात की थी।
सलविंदर पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि आंतकियों को रास्ते की जानकारी कैसे थी? इसपर उनका कहना है कि हो सकता है कि आतंकियों ने रास्ते की पहले से रेकी की हो। उनका कहना है कि इस हादसे के बाद उन्होंने सारे मामले की जानकारी पंजाब पुलिस को दे दी थी। उनकी सूचना पर ही खुफिया एजेंसियां और सुरक्षाबल अलर्ट हुए और हमले का मुकाबला कर पाए।