बांके बिहारी के बजाय अफसरों की सेवा
अपने यजमानों को मंदिर प्रांगण में प्रसाद खिलाना बांके बिहारी के सेवकों को भारी पड़ गया है। बीती 30 जून की रात मंदिर को बांके बिहारी मंदिर के पुजारियों और अन्य अधिकारियों ने प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन, उनकी पत्नी, कमिश्नरी एवं जिले के एक दर्जन से अधिक अधिकारियों को मंदिर प्रांगण में कुर्सी-मेज लगाकर भोजन कराया था।
इस मामले में मंदिर प्रबंध समिति ने संज्ञान लिया। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता नंदकिशोर उपमन्यु के घर पर बैठक हुई और तय किया गया कि पुजारियों द्वारा अधिकारियों को दी गई इस ‘पार्टी’ के बदले उन पर जुर्माना लगाया जाए। पुजारियों को एक सप्ताह में यह जुर्माना भरने को कहा गया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में दोषी पुजारियों को मंदिर से मिलने वाली सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा।
बांके बिहारी के नाम पर खूब पकवान और भोग उड़ाने वाले पुजारियों ने मंदिर समिति की इस कार्रवाई को द्वेषपूर्ण कहा है। उनका कहना है कि सेवायत गोस्वामी अपने यजमानों के लिए मंदिर में पहले भी इस प्रकार से भोग-प्रसाद वितरण की व्यवस्था करते रहे हैं। फिर वे दोषी क्यों ठहराए जा रहे हैं।
इस संबंध में समिति अध्यक्ष का कहना है कि मंदिर के सेवायत गोस्वामियों पुजारियों द्वारा आए दिन मंदिर की मर्यादा तोड़ने की घटनाओं के चलते ही एक मामले में मथुरा के सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत ने 30 अक्तूबर 2004 को ठाकुर जी के विश्राम के क्षणों में मंदिर के जगमोहन अथवा प्रांगण में भोजन करने-कराने पर पूर्णत प्रतिबंधित कर दिया था।