Advertisement
05 August 2025

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ा, राज्यसभा में प्रस्ताव पारित

राज्यसभा ने मंगलवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए बढ़ाने संबंधी वैधानिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विपक्ष की भारी नारेबाजी के बीच आज उच्च सदन में प्रस्ताव पेश किया।

सदन ने "राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर के संबंध में 13 फरवरी, 2025 को जारी की गई उद्घोषणा को 13 अगस्त, 2025 से छह महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए लागू रखने" संबंधी वैधानिक संकल्प को अपनाया।

इससे पहले 30 जुलाई को लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया था।

Advertisement

एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। सिंह ने राज्य में लगभग दो वर्षों से जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच इस्तीफा दे दिया।

संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लिए गए इस निर्णय का अर्थ है कि राष्ट्रपति अब राज्यपाल के माध्यम से राज्य के प्रशासनिक कार्यों को सीधे नियंत्रित करेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी भारत के राजपत्र में प्रकाशित घोषणा में कहा गया है कि मणिपुर विधानसभा की शक्तियां संसद को हस्तांतरित कर दी जाएंगी, जिससे राज्य सरकार का अधिकार प्रभावी रूप से निलंबित हो जाएगा।

इस आदेश के तहत, राज्यपाल की शक्तियों का प्रयोग अब राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा; राज्य विधानमंडल के प्राधिकार संसद द्वारा ग्रहण किए जाएंगे; तथा संविधान के विशिष्ट अनुच्छेदों को, जिनमें विधायी प्रक्रियाओं और शासन से संबंधित अनुच्छेद भी शामिल हैं, सुचारु केन्द्रीय प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए निलंबित कर दिया गया है।

राष्ट्रपति शासन आमतौर पर तब लगाया जाता है जब किसी राज्य सरकार को संवैधानिक मानदंडों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ पाया जाता है। यह कदम मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता और कानून-व्यवस्था को लेकर चिंताओं के बाद उठाया गया है। विधायी शक्तियों के निलंबन का अर्थ है कि अब राज्य के सभी कानून और निर्णय केंद्रीय प्राधिकरण, संसद या राष्ट्रपति, के अधीन होंगे।

राष्ट्रपति शासन छह महीने तक लागू रह सकता है, बशर्ते कि इसे संसद की मंजूरी मिल जाए। इस अवधि के दौरान, केंद्र सरकार शासन की देखरेख करेगी, और नई विधानसभा चुनने के लिए नए चुनाव बुलाए जा सकते हैं।

मणिपुर में अशांति मुख्य रूप से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी-ज़ोमी जनजातियों के बीच संघर्षों से जुड़ी थी। आर्थिक लाभ, नौकरी में आरक्षण और भूमि अधिकारों से जुड़े विवादों को लेकर तनाव बढ़ गया। हिंसा के परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: President's rule, manipur, rajyasabha resolution passed
OUTLOOK 05 August, 2025
Advertisement