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29 April 2015

‘कनहर’ पर कहरः पुलिस की गोली से छलनी आदिवासी

उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र में करीब 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना ‘विवादों की परियोजना’ में तब्दील होती नजर आ रही है। गैर-सरकारी संगठनों की आपसी लड़ाई पर बिछी नौकरशाहों और सियासतदानों के चौसर में कनहर और पांगन नदियों के संगम का पानी पिछले दिनों आदिवासियों और वनवासियों के खून का गवाह बना। अंबेडकर जंयती के मौके पर पुलिस प्रशासन ने दुद्धी तहसील के अमवार गांव में कनहर सिंचाई परियोजना स्थल पर धरना-सभा कर रहे ग्रामीणों पर जमकर गोलियां चलाईं जिसमें सिंदुरी गांव निवासी अकलू चेरो नामक आदिवासी का सीना छलनी हो गया और कई लोगों को गंभीर चोटें आईं।

 

पुलिस ने आरोप लगाया कि धरनारत ग्रामीणों ने दुद्धी कोतवाल समेत कई पुलिसकर्मियों पर हमला किया। बचाव में गोली चलानी पड़ी। हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने पुलिस के दावे को झूठा करार दिया। फिलहाल अकलू का इलाज वाराणसी के बीएचयू परिसर स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में अभी भी चल रहा है जबकि उसके दो साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस घटना के चार दिनों बाद 18 अप्रैल की सुबह जिला प्रशासन ने एक बार फिर परियोजना स्थल पर धरना दे रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया, रबर की गोलियां दांगी और आंसू गैस के गोले छोड़े जिससे करीब डेढ़ दर्जन लोग घायल हो गए। पुलिस ने घायलों को हिरासत में ले लिया। मामले में अब तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से कुछ जमानत पर रिहा हो गए हैं तो कुछ अभी भी जेलों में हैं। पुलिस ने ग्रामीणों के खिलाफ गत 23 दिसंबर को पुलिसकर्मियों पर हमला करने का आरोप लगाया है। परियोजना स्थल पर लाठी-डंडा आदि के साथ जबरिया कब्जा करने के मामले में मुख्य आरोपी गंभीरा प्रसाद, पंकज कुमार और राजकुमारी के अलावा अशर्फी लाल तथा लक्ष्मण प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा भीड़ का हिस्सा बनकर पुलिस हिरासत में आए 19 लोगों को शांति भंग की आशंका में चालान किया जा चुका है। जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया है। इनमें चार महिलाएं शामिल है। मामले में मुख्य रूप से वांछित अन्य अभियुक्तों की तलाश जारी है।

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पिछले दिनों दिल्ली से भाकपा (माले) की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, ग्रीनपीस इंडिया की कंपेनर प्रिया पिल्लई, पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव, सिद्धांत मोहन, रजनीश गंभीर, सामाजिक कार्यकर्ता पूर्णिमा गुप्ता और देबोदित्य सिन्हा की टीम ने इलाके का दौरा किया था। परियोजना समर्थकों ने उन्हें दो घंटे तक बंधक बनाये रखा। गत 25 अप्रैल को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर ने भी डूब क्षेत्र के गांवों का दौरा किया। उन्होंने साफ कहा कि जिला प्रशासन को ग्रामीणों से संवाद करना चाहिए। बलपूर्वक कार्रवाई करने से संघर्ष और तेज होगा। जिला प्रशासन भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के तहत प्रभावित होने वाले परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चिच करे। गौरतलब है कि 6 अक्टूबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने कनहर सिंचाई परियोजना का शिलान्यास किया। उस समय इस परियोजना की लागत करीब 27 करोड़ रुपये थी जो अब 2200 करोड़ रुपये से ज्यादा की हो गई है।  

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TAGS: कनहर परियोजना, जन आंदोलन, पुलिस कहर, गोलीबारी, दमन, कविता कृष्‍णन, ग्रीनपीस, आदिवासी, kanhar dam, police fire, tribal, public protest
OUTLOOK 29 April, 2015
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