कोटा के बाद अब राजस्थान के बूंदी में 10 बच्चों की मौत से मचा हड़कंप
राजस्थान में कोटा के जेजे लोन हॉस्पिटल में बच्चों की मौत पर मचा हंगामा अभी थमा भी नहीं है कि प्रदेश के बूंदी से ऐसी ही खबर आ रही है। राज्य के सरकारी अस्पताल में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है और प्रशासन मामले को दबाने का काम कर रहा है। एक महीन में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश जारी किए हैं। इस बीच, कोटा में बच्चों के मरने की आंकड़ा 106 तक पहुंच गया है। प्रदेश के डिप्टी सीएम सचिन पायलट आज जेजे लोन हॉस्पिटल का दौरा करेंगे और सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौपेंगे।
सामने नहीं आए थे मौत के आंकड़े
बच्चों की मौत के आंकड़ों को अस्पताल प्रशासन छुपाए बैठा था। बूंदी के सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत का खुलासा तब हुआ जब अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने अस्पताल का दौरा किया। शुक्रवार को जब कलेक्टर महोदय अस्पताल पहुंचे और रजिस्टर चेक किया तो मौतों की संख्या देखकर वे हैरान हो गए। पता चला कि पिछले एक महीने में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। ये सभी मौतें नियोनटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में हुई है।
कोटा के जेजे लोन अस्पताल की बदहाली
106 बच्चों की मौत का ठिकाना कोटा का जेके लोन अस्पताल खुद ही बीमार है। दरअसल कहने का मतलब है कि अस्पताल में आवश्यक और जीवनरक्षक श्रेणी में आने वाले कई नेबुलाइजर, वॉर्मर और वेंटिलेटर सहित 60 प्रतिशत उपकरण काम नहीं कर रहे हैं। अस्पताल के 50 वॉर्मर हैं, लेकिन 35 लंबे समय से खराब पड़े थे, जब मौतों की संख्या बढ़ी तो गुरुवार से इन्हें सुधारने का काम शुरू हुआ। पीलिया, सांस में तकलीफ, निमोनिया से पीड़ित बच्चों को वॉर्मर में रखा जाता है, लेकिन यहां कम होने के कारण एक-एक वॉर्मर में दो-दो बच्चों को रखा गया है।
तीन वार्डो में 174 बेड पर 267 बच्चे भर्ती हैं। इनमें आईसीयू के 53 बेड पर 73 और पीआईसीयू वार्ड के 12 बेड पर 25 बच्चों का इलाज किया जा रहा है। कुछ बच्चों को कंबल बिछाकर लोहे की बेंच पर जगह दी गई है।
किसी का वजन कम, तो कोई संक्रमण का शिकार
इस मामले को लेकर चिकित्सा विभाग का कहना है कि सभी बच्चे ग्रामीण इलाके से यहां आए थे। ड्यूटी इंचार्ज हितेश सोनी का कहना है कि किसी बच्चे का वजन कम था तो किसी के मुंह में गंदा पानी चला गया था, तो किसी के मुंह में हुए संक्रमण के कारण मौत हुई। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की मौत नहीं हुई है।
सरकार पर उठ रहे सवाल
बुधवार तक कुछ बच्चों को जमीन पर लिटाया गया था, लेकिन जैसे ही मौतों को लेकर सरकार पर सवाल उठने लगे तो उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। एक ही बेड पर एक से ज्यादा बीमार हों तो एक दूसरे को संक्रमण का खतरा बना रहता है। मौत के कारणों में संक्रमण भी माना गया है।
कलेक्टर ने दिए निर्देश
अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अस्पताल में सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही अस्पताल में किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं हो इसका ध्यान रखने को कहा है। कलेक्टर ने कहा है कि बच्चों के इलाज में किसी भी हालत में लापरवाही नहीं बरती जाए।