राजस्थान में 51 हजार में से बीजेपी के आधे बूथ अध्यक्ष निकले फर्जी
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में करीब छह माह ही बचे हैं। इस बीच एक हैरान कर दे00ने वाली खबर सामने आई है, जब भाजपा डेढ़ माह से अपने प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान करने में नाकाम रही है। नए अध्यक्ष के नाम को लेकर आज या कल में, कभी भी घोषणा हो सकती है।
फरवरी में आए उपचुनाव के नतीजों के बाद चेती राज्य में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी प्रदेशभर के दौरों पर निकली हुईं हैं लेकिन इसी के साथ पार्टी के लिए बुरी खबर सामने आई है। पार्टी की तरफ से करवाए गए भौतिक सत्यापन में खुलासा हुआ है कि प्रदेश के 51 हजार बूथ अध्यक्षों में से करीब आधे, यानी 25 हजार बूथ व अध्यक्ष फर्जी हैं।
इस जानकारी के बाद भाजपा में हड़कंप मच गया है। पार्टी ने इसकी जांच करवाने के साथ ही अपने 200 नेताओं को सभी विधानसभाओं में बूथ अध्यक्ष व बूथ स्तर पर पार्टी की मौजूदगी पुख्ता करवाने के लिए लगा दिया है। बूथ अध्यक्ष न होने के कारण पार्टी की कमजोर होती स्थिति को ध्यान में रखते हुए संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रदेश प्रभारी वी. सतीश, निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मोर्चा संभाल लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इसकी सूचना सीएम राजे तक पहुंचा दी गई है, जिसके बाद राज्य में कभी भी संभावित आलाकमान के दौरों के मध्यनजर जोरदार हरकत दिखाई देने लगी है।
इस तरह हुआ खुलासा
पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में 51 हजार बूथ बना रखे हैं। जिनका पूरा ब्योरा पार्टी कार्यालय में मौजूद है। उसके अनुसार पार्टी ने फोन पर सत्यापन करवाया, जिसमें सामने आया कि कुल 51 हजार में से 25 हजार बूथ और अध्यक्ष मौजूद ही नहीं हैं, या गलत तरीके से अन्य पार्टी या निष्क्रिय लोगों को बना दिया गया है।
हालांकि, अभी तक इस मसले पर बीजेपी के किसी पदाधिकारी ने बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सभी 25 बूथों पर बूथ अध्यक्ष सहित सभी 51 सदस्यों की टीम बनाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि जून में कभी भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का राजस्थान में दौरा शुरू हो सकता है।
यह हो सकती है पार्टी के लिए मुश्किल
राजनीति के जानकारों का कहना है कि कोई भी पार्टी जब तक बूथ लेवल पर मजबूत नहीं होगी, तब तक उसका चुनाव जीत पाना असंभव है। बूथ पर रहने वाले अध्यक्ष और उसकी टीम ही मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाने का काम करती है। ऐसे में जहां पर किसी पार्टी के बूथ अध्यक्ष और टीम नहीं होती है, वहां पर ऐसी पार्टी के पक्ष में वोटिंग होने की उम्मीद बेहद कम होती है।
बीजेपी लगातार दावा करती रही है कि राज्यभर में उनके 51 हजार बूथों पर अध्यक्ष व उनके साथ अन्य कार्यकर्ता मजबूती से पार्टी के लिए काम करते हैं, लेकिन यह ताजा खुलासा होने के बाद प्रदेश आलाकमान सकते में है।
हार चुके हैं उपचुनाव
आपको बता दें कि बीजेपी फरवरी के पहले दिन आए परिणाम में दो लोकसभा, अजमेर व अलवर सीट गंवा चुकी है। इसके साथ ही मांडलगढ़ की विधानसभा सीट पर भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। बताया जा रहा है कि यहां तीन सीटों पर पार्टी के खिलाफ आए परिणाम के बाद ही बीजेपी ने बूथ लेवल पर अपनी स्थिति जांचने के लिए सत्यापन करवाने का फैसला किया था।
सभी 200 विधानसभा सीटों पर नेताओं से जांच करवाई गई तो पता चला कि कई जगह बूथ अध्यक्ष हैं ही नहीं। ऐसे में पार्टी कार्यालय से इसका सत्यापन करवाने का फैसला किया गया। कहा जा रहा है कि सत्यापन में इन तीनों सीटों पर सर्वाधिक बूथ अध्यक्ष लूज करने का मामला सामने आया है।
कांग्रेस को हो सकता है फायदा
बीजेपी के कमजोर होने के कारण प्रमुख प्रतिद्धंदी कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। कांग्रेस ने भी इन दिनों मेरा बूथ मेरा गोरव अभियान चला रखा है। जिसका उद्देश्य सभी बूथ अध्यक्षों और उनकी टीम से पार्टी के पदाधिकारियों से बातचीत, आने वाले चुनाव में पार्टी की तैयारियों व स्थानीय स्तर पर जनता के साथ किस तरह जुड़ा जा सकता है, इसका प्रयास किया जा रहा है। इसमे कोई दोहराय नहीं है कि अब बीजेपी के 25 हजार बूथ अध्यक्ष फर्जी होने के कारण कांग्रेस पार्टी भाजपा पर हमलावर होगी।
बीते दिनों शाहपुरा और जयपुर की किशनपोल विधानसभा सीटों पर कांग्रेस में कपड़े फाड़ने वाली राजनीति के बाद संगठन महामंत्री अशोक गहलोत ने सभी को एकजुट होकर काम करने का आव्हान किया है। इधर, सचिन पायलट भी मेरा बूथ, मेरा गोरव के तहत प्रदेशभर के दौरे पर निकल पड़े हैं।