अब राजस्थान में 'जट सिख' समुदाय भी ओबीसी वर्ग में शामिल
राजस्थान सरकार की कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए राज्य के 'जट सिख' समुदाय को भी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने का बड़ा महत्वपूर्ण फैसला किया है। राज्य कैबिनेट के इस निर्णय के तहत जट सिखों को ओबीसी सूची में 54वें नंबर पर शामिल किया गया है। अभी तक केवल जाट समुदाय ही इस सूची में थे, लेकिन जट सिखों का दावा था कि वह भी जाट समाज के ही हिस्सेदार हैं, पंजाब से उद्भव होने के कारण केवल उनके जाति नाम को लिखने में जट सिख लिखा जाता है।
राजस्थान कैबिनेट ने एक सर्कुलर के जरिए यह निर्णय जारी किया है। इस फैसले के बाद अब जाट समुदाय व जट सिख समुदाय, दोनों ही ओबीसी का हिस्सा हो जाएंगे। इसके अलावा कैबिनेट ने 3 संस्थाओं को भी जमीन आवंटन करने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। इन संस्थाओं में पीएनबी और प्रयास संस्थाएं हैं।
राज्य में जाट समाज को 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र सरकार द्वारा आरक्षण दिए जाने के बाद राज्य सरकार ने उसी साल आरक्षण देने का फैसला किया था। हालांकि, राजपरिवार व सम्पन्न होने की बात कहकर धोलपुर व भरतपुर के जाट समाज को वंचित कर दिया गया। लंबी लड़ाई के बाद करीब 18 साल बाद, 24 अगस्त 2017 को आरक्षण का लाभ मिला।
आरक्षण की आग जलती रही है
राजस्थान में हमेशा ही आरक्षण की आग जलती रही है। पहले जाट आरक्षण के लिए आंदोलन करते थे। उसके करीब 10 साल बाद ओबीसी से एसटी में शामिल होने के लिए गुर्जर समाज ने आरक्षण किया, जो कमोबेश आजतक जारी है। गुर्जर आरक्षण का मसला राजस्थान की तीन सरकारें भी नहीं सुलझा पाई हैं। अभी यहां पर आर्थिक पिछड़ा वर्ग, राजपूत आरक्षण व ब्राह्मण समाज में भी आरक्षण के लिए आंदोलन होते रहे हैं। इधर, ओबीसी वर्ग में भी आरक्षण को मोटा लाभ लेने की दलील के साथ अन्य जातियों द्वारा जाटों के लिए अलग से कोटा निर्धारित करने की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है।