संपूर्ण कर्ज माफी को लेकर 22 फरवरी को सड़कों पर उतरेंगे राजस्थान के किसान
राजस्थान में दूसरा किसान आंदोलन 22 फरवरी को अपने चरम पर होगा, जब जयपुर की सड़कों पर राजस्थान के 4 जिलों से आए किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार को घेरेंगे।
संभावना जताई जा रही है कि बीते साल शेखावाटी अंचल के सीकर में हुए किसान आंदोलन को पीछे छोड़ते हुए इस बार लाखों की संख्या में किसान जयपुर में सरकार के खिलाफ कर्ज माफी को लेकर बिगुल बजाएंगे। 12 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए सालाना बजट में किसानों के कर्जा माफी की मांग को पूरा नहीं करने के बाद गुस्साए राजस्थान के किसानों ने राजधानी जयपुर की तरफ कूच कर दिया है।
पहला जत्था 12 फरवरी को ही कोटा से रवाना हो गया है। इसके साथ ही 15 फरवरी को झुंझुनू से दूसरा जत्था, साथ ही नागौर से भी किसानों का बड़ा मंडल जयपुर की तरफ कूच करने वाला है। वहीं, आखिरी जत्था 17 फरवरी को सीकर से किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष पेमाराम के नेतृत्व में रवाना होगा। जहां 22 फरवरी को पूरे राजस्थान से आए किसान जयपुर की सड़कों पर सरकार के खिलाफ जमकर अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद करेंगे।
राजस्थान के इतिहास में किसान आंदोलन को लेकर संभवत बीते साल सीकर में हुई किसान रैली समेत अब तक कि समस्त रैलियों के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 22 फरवरी को जयपुर में होने वाली किसान महारैली में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो जाएंगे।
घबराई हुई राजस्थान सरकार ने पुलिस बल तैनात करने के लिए उच्च स्तरीय मीटिंग की है। बताया जा रहा है कि राजस्थान के डीजीपी ओपी गल्होत्रा सभी जिलों के एसपी और डीएसपी के साथ इस रैली को लेकर तैयारियां करने में जुट गए हैं।
गौरतलब है कि 12 फरवरी को बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान के किसानों को बड़ी राहत का ऐलान करते हुए 8 बीघा जमीन तक के वह किसान, जिन्होंने सहकारिता बैंकों से ऋण ले रखा था और उनका ऋण चुका नहीं पाने के कारण ओवर ड्यू हो गया था, उनके 50,000 रुपये तक के कर्ज माफी का ऐलान किया था।
हालांकि, वामपंथी संगठन, कॉमरेड विचारधारा की किसान सभा द्वारा बीते साल सीकर में की गई रैली के वक्त राजस्थान सरकार ने चार मंत्रियों की एक कमेटी का गठन कर प्रदेश के किसानों का कर्ज केरल की तर्ज पर माफ करने की बात कही थी, मगर तब से लेकर अब तक मंत्रियों की कमेटी कोई फैसला नहीं कर पाई।
किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम बताते हैं कि राज्य सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है, जिसका परिणाम उसे भुगतना होगा। हमारे साथ हुए समझौते में प्रदेश के सभी किसानों का पूर्ण ऋण माफ करने की बात हुई थी, मगर सरकार ने वादा तोड़ते हुए केवल कुछ किसानों का लोन माफ किया है।
किसान रैली की तैयारियां जोरों पर चल रही है। बताया जा रहा है कि कोटा, नागौर, सीकर, झुंझुनू जिलों से आने वाले किसानों के लिए रास्ते में खाने-पीने और ठहरने के लिए किसान समुदाय के लोगों द्वारा इंतजामात किए गए हैं।
इसी तरह से जयपुर में ठहरने पर किसानों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए भी प्रदेशभर के किसानों ने सहयोग देने का वादा किया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह किसान आंदोलन की रैली जयपुर में कौन सी जगह एकत्रित होगी।