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27 October 2017

राजस्थान: विवादित अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस

राजस्थान में वसुंधरा सरकार के लोकसेवकों, जजों को बचाने वाले अध्यादेश के खिलाफ लगी पांच याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राजस्थान और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

कोर्ट ने पूछा है कि आखि‍र क्यों इस तरह के अध्यादेश लाने की जरुरत पड़ी। अब इस पर अगली सुनवाई 27 नवम्बर को होगी।

इससे पहले बिल को भारी विरोध के चलते सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया। माना जा रहा है कि इस विधेयक को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने के लिए यह फैसला लिया गया।

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मंत्री, विधायकों, अफसरों और जजों को बचाने वाले विवादों से घिरे इस विधेयक पर राजस्थान सरकार को दोबारा सोच-विचार करना पड़ रहा है। इस विधेयक के पास होने के बाद लोकसेवकों और जजों के खिलाफ सरकारी मंजूरी के बगैर जांच करना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही ऐसे मामलों की मीडिया में रिपोर्टिंग पर भी पाबंदियां लगाई गई हैं। प्रस्तावित विधेयक के तहत, किसी भी सरकारी अफ़सर, जज, मंत्री के ख़िलाफ़ लगने वाले आरोप की रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को सरकार की अनुमति का इंतज़ार करना होगा! अन्यथा दो साल तक की सजा हो सकती है। सरकारी कर्मचारियों, मंत्रियों, जजों, मजिस्ट्रेट के खिलाफ बिना सरकार की अनुमति के जांच नहीं की जा सकेगी।

इस अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी के लीगल सेल के पूनमचंद भंडारी, सामाजिक संगठनों की तरफ से पीयूसीएल, कांग्रेस की तरफ से सचिन पायलट और एक अन्य याचिका राजस्थान हाईकोर्ट अत्री कुमार दाधिच ने लगाई है।

क्या है अध्यादेश में?

आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 के अनुसार, ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मी की कार्रवाई के खिलाफ सरकारी अनुमति के बिना कोर्ट के माध्यम से भी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई जा सकती।  हालांकि यदि सरकार स्वीकृति नहीं देती है तब 180 दिन के बाद कोर्ट के माध्यम से प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।

अध्यादेश के प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि इस तरह के किसी भी सरकारी कर्मी, जज या अधिकारी का नाम या कोई अन्य पहचान तब तक प्रेस रिपोर्ट में नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार इसकी अनुमति न दे। इसका उल्लंघन करने पर दो वर्ष की सजा का भी प्रावधान किया गया है।

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TAGS: Rajasthan Ordinance, Rajasthan High Court, sent notices, Centre & state govt, next date of hearing, 27 November
OUTLOOK 27 October, 2017
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