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17 January 2019

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में राम रहीम को उम्रकैद

File Photo

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने मामले के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सहित चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनाया। राम रहीम की यह सजा साध्वी यौन शोषण मामले में मिली सजा के बाद शुरू होगी। कोर्ट के मुताबिक, राम रहीम जेल में मरते दम तक रहेगा। राम रहीम इस समय दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इस बीच सुरक्षा के मद्देनजर सिरसा और रोहतक में धारा 144 लागू है।

सूत्रों ने बताया कि जज द्वारा सजा सुनाए जाने के दौरान राम रहीम जज के सामने हाथ जोड़कर जरूर खड़ा था, लेकिन इस दौरान राम रहीम के चेहरे पर न तो मायूसी दिखी और न ही चिंता की लकीरें नजर आई। वह कठोर बनकर सजा सुनता रहा।

11 जनवरी को ठहराया गया था दोषी

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16 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने मर्डर केस में 11 जनवरी को राम रहीम, कृष्ण लाल, निर्मल सिंह और कुलदीप सिंह को दोषी करार दिया था। चारों को आईपीसी की धारा 302 और आईपीसी  की धारा 120बी के तहत दोषी करार दिया गया है, जबकि आरोपी कृष्ण लाल को 1959 आर्म्स एक्ट के सेक्शन 29 के तहत भी दोषी करार दिया गया है। आरोपी निर्मल सिंह को 1959 आर्म्स एक्ट के सेक्शन 25 के तहत भी दोषी करार दिया गया है।

क्यों हुआ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सजा का ऐलान

हरियाणा सरकार ने कानून व्यवस्था को देखते हुए चारों दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सजा के ऐलान की गुजारिश अदालत से की थी। कोर्ट में अर्जी पर बहस हुई थी और बुधवार को सरकार की अर्जी मंजूर हो गई। कोर्ट के निर्णय के बाद डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने मीडिया से कहा कि मामले की संवेदनशीलता और प्रदेश में सुरक्षा व कानून व्यवस्था को देखते हुए सीबीआई कोर्ट ने सरकार की याचिका मंजूर की। उन्होंने कहा कि पिछली दफा काफी जान-माल का नुकसान हुआ था। गौरतलब है कि 25 अगस्त 2017 को साध्वी यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला समेत कई जगहों पर काफी आगजनी, तोड़फोड़ हुई थी।

क्या है मामला?

यह मामला 16 साल पुराना है। 2002 के मई महीने में जब पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार 'पूरा सच' में राम रहीम पर साध्वियों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों वाला गुमनान पत्र छापा था, जिससे डेरा प्रमुख राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा की बदनामी होने लगी। डेरे की बदनामी होने के कारण पत्रकार रामचंद्र को धमिकयां मिलनी शुरू हो गई, जिसके कुछ महीनों बाद ही 24 अक्टूबर 2002 को डेरे के लोगों ने रामचंद्र को उसके घर के बाहर बुलाकर उन पर गोलियां चलाई। इस हमले में रामचंद्र गंभीर रूप से घायल हो गए, हालांकि मौके पर ही हमलावरों को पुलिस ने पकड़ लिया, जिनसे पूछताछ करने पर सामने आया कि हमलावर डेरे से जुड़े हुए थे।

21 नवंबर, 2002 को रामचंद्र छत्रपति की मौत

रामचंद्र छत्रपति की मौत 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हो गई, जिसके बाद उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने मामले में सीबीआई जांच की मांग के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। नवंबर 2003 में हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में गुरमीत राम रहीम के साथ किशनलाल, निर्मल व कुलदीप आरोपी बनाए गए, जिनपर हत्या की साजिश रचने व हत्या का आरोप लगा।

2003 में केस की सीबीआई जांच शुरू

दिसंबर 2003 में इस केस की जांच शुरू हुई हालांकि 2004 में डेरा सच्चा सौदा ने यह जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा की याचिका खारिज कर दी और कहा कि जांच तो सीबीआई ही करेगी। जिसके बाद से लगातार अब तक तक मामले में हुई सैकड़ों पेशी भुगतने के बाद 11 जनवरी को कोर्ट ने राम रहीम समेत चार लोगों को दोषी पाया।

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TAGS: Ram Rahim, life impronment, journalist, ramchandra chhatrapati murder case
OUTLOOK 17 January, 2019
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