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03 February 2018

तो इस वजह से राजस्थान में तीनों सीटें हारी बीजेपी

File Photo.

राम गोपाल जाट

राजस्थान की 25 में से दो लोकसभा सीटें अब बीजेपी से छिनकर कांग्रेस के पास चली गई हैं। अलवर से कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. करण सिंह यादव ने बीजेपी के नेता और राज्य कैबिनेट के मंत्री डॉ. जसवंत यादव को करीब दो लाख वोटों से करारी शिकस्त दी। इसी तरह से अजमेर संसदीय सीट पर भी बीजेपी को 80 हजार से ज्यादा मतों से मात खानी पड़ी है। यहां पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और किसान आयोग के अध्यक्ष रहे दिवंगत बीजेपी नेता प्रो. सावंरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लाम्बा को हार का मुंह देखना पड़ा है।

राजपूत और रावणा राजपूत समाज ने इसको अपनी जीत करार दिया है। बेरोजगारों ने बीजेपी की हार पर स्वयं की पीठ थपथपाई है। सरकारी कर्मचारियों ने खुद को कांग्रेस की जीत का असल हीरो बताया है। इसी तरह से किसानों ने बीजेपी से बदला लेने की बात कही है। ठीक ऐसे ही दावे कई अन्य वर्ग कर रहे हैं, जो सरकार से त्रस्त थे।

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लेकिन इस सबके बावजूद बीजेपी ने मंथन किया है। केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री और बीकानेर से बीजेपी सांसद सहित कई दूसरे सांसदों से इस हार के बाद बैठक कर कारण जानने का प्रयास किया है। शुक्रवार को राजस्थान की मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर प्रदेश प्रभारी वी. सतीश, सगंठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, कैबिनेट मंत्री गुलाबचंद कटारिया और राजेंद्र राठौड़ को बुलाकर मीटिंग की है। इस मैराथन मीटिंग के बाद किसी भी सदस्य ने मीडिया से बात कर अंदरखाने हुई बात का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया।

सूत्रों की मानें तो परिणाम के बाद अमित शाह ने केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन लाल मेघवाल से लंबी बात की। इसके बाद देर शाम संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से भी फोन पर बात कर आगे की रणनीति पर चर्चा की है। सूत्रों के अनुसार अब राज्य बीजेपी में वह सब नहीं चलेगा, जो बीते चार साल से चल रहा था। मतलब साफ है कि राज्य में भले ही सरकार के स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया जाए, लेकिन इतना तय है कि संगठन के स्तर परिवर्तन अपरिहार्य हो गया है।

अब बात करते हैं बीजेपी की हार का असल कारण। सभी ने अपने-अपने दावे किए हैं, लेकिन जो कारण हार का मुख्य रहा है, वह है बीजेपी का मातृ संगठन। यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। बिल्कुल यही संगठन, जिसने बीजेपी को इतना बड़ा कर दिया, उसी ने राजस्थान में बीजेपी का हरवाया है। आरएसएस के कई बड़े नेता इस बात को केंद्रीय नेतृत्व से कह चुके हैं कि राजस्थान की वर्तमान परिस्थिति में वे पार्टी की जीत के लिए काम नहीं कर सकते।

इस चुनाव में बीजेपी ने पन्ना प्रमुख तक बनाए थे, लेकिन असल बात यही है कि यह पन्ना प्रमुख बीजेपी के नहीं थे। सर्वविदित है कि बीजेपी के लिए ग्रांउड के लेवल पर आरएसएस ही काम करता है। संघ की ही मेहनत का परिणाम है कि 2014 में आम चुनाव और बीते साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत पार्टी को मिली है।

राजस्थान सरकार से बेहद खफा चल रहे आरएसएस ने अपनी ताकत का अहसास बीजेपी व सरकार को करवा दिया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार के द्वारा लगातार आरएसएस के कार्य नहीं किए जाने का मामला सामने आता रहता है। चाहे जयपुर में मंदिर तोड़ने की बात हो या हिंगोनिया गोशाला में हजारों गायों के मरने के बाद भी किसी पर बड़ी कार्यवाही करना हो।

ऐसे में सभी वर्गों के दावों के बीच सही बात यही निकलकर सामने आ रही है कि राज्य उपचुनाव में दो लोकसभा व एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस की जीत नहीं होकर बीजेपी की हार हुई है। इसके साथ ही इस हार का मुख्य कारण संघ की नाराजगी, गुस्सा, बदले की रणनीति और ऊपरी स्तर पर सीधा संदेश देना था।

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TAGS: rajasthan bypolls, bj, congress, vasundhara raje
OUTLOOK 03 February, 2018
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