जीतन मांझी का इस्तीफा, सियासत में नया मोड़
इसकी आंच दिल्ली की सियासत तक पड़ने की प्रबल संभावना है।बिहार भाजपा मांझी की सरकार बनवाने के पक्ष में नहीं थी।
विधानसभा पहुंचने से पहले जीतन राम मांझी बिहार के राज्पायपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलने पहुंचे और उन्हें इस्तीफा दे दिया। विधानसभा में उनका बहुमत सिद्ध कर पाना तकरीबन असंभव था। नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर शुक्रवार या शनिवार तक राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है। यह संभावना जताई जा रही है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
मांझी ने पद से इस्तीफा देने के बाद संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि बिहार विधानसभा स्पीकर के गलत फैसलों की वजह से दिक्कत आई। उन्होंने कहा कि विधानसभा में बहुमत होने के बावजूद परिस्थितिवंश राज्यपाल को इस्तीफा दिया
जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जोड़-तोड़ की कोशिश की गई लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो मजबूरी में मांझी को यह फैसला लेना पड़ा। उनका कहना है कि भाजपा का योजना विफल हो गई और बिहार को मिले जनादेश की रक्षा हो गई। । नीतीश कुमार ने कहा कि इस चीज का फैसला पहले हो जाना चाहिए था, ताकि बजट सत्र सुचारू रूप से चल सके। मांझी के इस्तीफे की सूचना मिलते ही जदयू और उसका समर्थन कर रही अन्य पार्टियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
उधर, भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने जद (यू) के इन आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि इसमें उनकी पार्टी का कोई हाथ नहीं है।
बिहार विधानसभा में विभिन्न पार्टियों की स्थिति
जदयू- 111
भाजपा - 87
राजद- 24
कांग्रेस - 5
भाकपा - 1
निर्दलीय- 5
कुल-- 233 (दस स्थान रिक्त हैं)