Advertisement
03 August 2025

आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले की पीड़िता के माता-पिता ने पूछा- क्या हमें न्याय मिलेगा?

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या के लगभग एक साल बाद चिकित्सक के शोकाकुल माता-पिता के जख्म समय के साथ गहरे होते जा रहे हैं और वे न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चिकित्सक के पिता ने कहा कि अब उनकी एकमात्र उम्मीद न्यायपालिका पर टिकी है।

महिला चिकित्सक के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘पुलिस और सीबीआई पर से हमारा भरोसा पूरी तरह से उठ गया है। सीबीआई राजनीतिक या अन्य कारणों से समझौता कर चुकी है, यह तो वही जानती है। सीबीआई वही बात दोहरा रही है, जो कोलकाता पुलिस कह रही थी।’

पिछले साल नौ अगस्त को 26 वर्षीय स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव अस्पताल के आपातकालीन भवन की चौथी मंजिल पर स्थित चेस्ट मेडिसिन विभाग के सेमिनार हॉल में मिला था।

Advertisement

शव पर मिले चोटों के निशान क्रूरता की ओर इशारा कर रहे थे। एक सरकारी अस्पताल में हुई इस घटना से पूरे पश्चिम बंगाल और उसके बाहर आक्रोश फैल गया था।

पूरे परिसर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और छात्र, डॉक्टर और नागरिक समाज के लोग सड़कों पर उतर आए। लेकिन परिवार का कहना है कि एक साल बाद भी अब तक न्याय नहीं मिला है।

महिला के पिता ने कहा, ‘यह सिर्फ एक हत्या की बात नहीं थी… यह एक संदेश था कि सबसे प्रतिभाशाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं, यहां तक कि अस्पताल के अंदर भी नहीं।’

नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को बलात्कार और हत्या के जुर्म में गिरफ़्तार कर लिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन पीड़िता के परिवार और कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है।

चिकित्सक की मां ने कहा, ‘पहले दिन से ही हम कह रहे थे कि एक से ज्यादा लोग थे। वह ताकतवर लड़की थी। ऐसा हो ही नहीं सकता कि इतनी सुरक्षित इमारत में सिर्फ एक व्यक्ति ने ऐसा किया हो। शुरुआत में जो भी बातें छिपाई गईं, वे किसी बड़ी साठगांठ की ओर इशारा करती हैं।’

चिकित्सक के पिता ने सबूत मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘उस दिन श्मशान घाट में तीन शव थे। फिर भी हमारी बेटी का शव पहले जला दिया गया। इतनी जल्दबाजी क्यों? सबूत मिटाने के लिए ऐसा किया गया।”

वारदात के बाद दो और लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल शामिल हैं। हालांकि सीबीआई द्वारा 90 दिन में आरोपपत्र दाखिल न करने पर मंडल को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

चिकित्सक के पिता ने कहा, ‘हमने सीबीआई पर भरोसा करके मूर्खता की… उन्होंने वही दोहराया जो कोलकाता पुलिस ने उन्हें बताया था। कोई नया नाम नहीं, कोई नई गिरफ्तारी नहीं, कोई जवाबदेही नहीं।” उन्होंने कहा, ‘यही बात आपको बताती है कि सीबीआई इसे कितनी गंभीरता से ले रही है… वे समय पर आरोपपत्र भी दाखिल नहीं कर सके। अब वे दावा कर रहे हैं कि वे एक ‘बड़ी साजिश’ की जांच कर रहे हैं। लेकिन हमें इस बात पर ही संदेह है कि वे कभी पूरक आरोपपत्र दाखिल करेंगे।’

चिकित्सक के पिता ने कहा, ‘‘ अब हमारी एकमात्र उम्मीद न्यायपालिका पर टिकी है… हमें विश्वास है कि वह हमें निराश नहीं करेगी।’’

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: RG Kar rape-murder case, victim's parents, Will we get justice?
OUTLOOK 03 August, 2025
Advertisement