नेता-माफिया के गठजोड़ से मध्य प्रदेश सरकार कटघरे में
अपनी सरकार की बुराई करने के लिए भले ही भाजपाई नेता खुलकर कुछ न बोलें लेकिन दबे स्वर में यह मानने लगे हैं कि सरकार का कामकाज ठीक से नहीं चल रहा है। इसलिए केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार को भी निर्देश देना पड़ा कि मध्य प्रदेश सरकार खनन माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाए। इसके साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में जो गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं उन पर भी लगाम लगाया जाए। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी मुक्चयमंत्री को आगाह किया है कि माफियाओं पर शिकंजा कसा जाए।
राज्य में खनन माफियाओं को वर्चस्व इस कदर बढ़ रहा है कि वह पुलिसकर्मियों को भी निशाना बनाने से नहीं चूक रहे। मुरैना जिले में रेत माफिया के एक बेलगाम डंपर ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी को रौंद दिया। दो साल पहले भी इसी जिले में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी नरेंद्र कुमार की भी रेत माफिया की ट्रॉली से कुचलकर मौत हो गई थी। मुरैना के पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन के मुताबिक नूराबाद थाने के पुलिसकर्मी धर्मेद्र सिंह चौहान पुलिस दल के साथ जीप से धनेला गांव में एक लूट के आरोपी को पकडऩे जा रहे थे। उसी दौरान उन्हें रास्ते में रेत माफिया का एक डंपर दिखा। धर्मेद्र ने जीप से उतरकर डंपर रुकवाने की कोशिश की। पुलिस को सामने देख डंपर चालक वाहन लेकर भागने लगा, जिससे धर्मेंद्र उसकी चपेट में आ गए। उनकी मौके पर मौत हो गई। इससे पहले माफिया ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस.एस. चहल की गाड़ी पर भी डंपर चढ़ा दिया था। चहल तो मौके से बच गए लेकिन माफिया का मनोबल इतना बढ़ गया है कि एक थाने पर हमला बोलकर उसके लोग पकड़ी गई गाडिय़ों को छुड़ा ले गए।
धर्मेंद्र की मौत ने एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। खनन माफिया से टकराने का खतरा अब पुलिसकर्र्मिंयों को ही नहीं बल्कि अन्य अधिकारियों को भी भुगतना पड़ रहा है। जिस भी अधिकारी ने खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की उसे गंभीर नतीजे भुगतने पड़े। किसी का तबादला हो गया तो किसी को अपनी जान गंवानी पड़ी। पूर्व पुलिस महानिदेशक अरुण गुर्टू के मुताबिक राजनीतिक दखलअंदाजी बढ़ जाने से पुलिस की साख कमजोर पड़ रही है। इसी का नतीजा है कि लोग पुलिस को नुकसान पहुंचाने में भी हिचक नहीं दिखाते। इससे पुलिस का मनोबल गिरता है। राज्य के सिहोर जिले में दो वरिष्ठï अधिकारियों के तबादले इसलिए कर दिए गए कि उन्होंने एक ऐसी कंपनी पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा दिया था, जो सरकार से करीब का नाता रखती थी। ऐसे में अब कोई अधिकारी खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश नहीं करता। राज्य के हर जिले में खनन माफिया का खेल चल रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं मध्य प्रदेश में नेताओं और माफिया का गठजोड़ जब काम कर रहा हो तो सरकार उसे काबू कैसे कर सकती है। सिंधिया कहते हैं कि यूपीए सरकार के दौरान प्रदेश के मुक्चयमंत्री धरना देते थे कि केंद्र सरकार राज्य को कोई मदद नहीं करती। अब तो केंद्र में भाजपा की सरकार है तो अब क्यों नहीं धरना देते। प्रदेश में पुलिसकर्मियों को मारा जा रहा है। यह जानने के बावजूद कि इन मौतों के पीछे किसका हाथ है सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। लेकिन धर्मेंद्र की मौत के बाद से राज्य सरकार सक्रिय है। भिंड के भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा द्वारा रेत माफिया के साथ वसूली की बात जब सामने आई तो भाजपा नेताओं के तेवर दिखने लगे। मुक्चयमंत्री को दिल्ली तलब कर लिया गया। सूत्रों के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान से साफ तौर पर कह दिया गया है कि अगर माफियाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो पार्टी कोई विकल्प सोचने पर मजबूर हो जाएगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली से लौटते ही मुक्चयमंत्री ने उच्च अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में यह साफ कर दिया गया कि अगर इस तरह की घटना फिर हुई तो किसी को बक्चशा नहीं जाएगा। भाजपा के राष्ट्रीय और मध्य प्रदेश के एक प्रमुख नेता उपाध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं कि राज्य सरकार इन मामलों को लेकर गंभीर है और वह इस पर आवश्यक कार्रवाई भी कर रही है।
लेकिन प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। बालाघाट जिले के लांजी से विधायक रह चुके किशोर समरीते ने सबूतों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने मुक्चयमंत्री पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। समरीते के मुताबिक बालाघाट जिले के पोनिया गांव में एसएस मिनरल्स को मैगनीज खदान के 17.9 एकड़ जमीन पट्टे पर आवंटित की गई है। समरीते का आरोप है कि इस कंपनी से मुख्यमंत्री का सीधे तौर पर हित जुड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की है कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके। समरीते ने कहा कि बालाघाट ही नहीं बल्कि प्रदेश के हर जिले में खनन का अवैध कारोबार जारी है जो सत्ता संरक्षण में हो रहा है। इस बात की तस्दीक बीते कुछ सालों में हुई घटनाएं भी करती हैं जिस संदर्भ में लगातार सरकार के कामकाज को लेकर सवाल उठते रहे हैं। चंबल और नर्मदा नदी के किनारे पर रेत माफिया वृहद पैमाने पर अवैध रेत खनन कर रहे हैं। रेत माफिया के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि उसके लोगों ने ओंकारेश्वर क्षेत्र में ओंकारेश्वर बांध के निकट तक खोद डाली। यहां इतना ज्यादा रेत खनन हुआ है कि अब बांध पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। मुरैना में सुमावली से लेकर सबलगढ़ तक के तीन सौ गांवों में अवैध खनन हो रहा है, वहीं दतिया जिले के भंडेर में रेत की खदान कागजों में बंद है लेकिन खनन जारी है। मालवा निमाड़ के क्षेत्र में खनन माफियाओं के बीच खूनी संघर्ष आम बात है। वहीं बैतूल में खनिज माफिया ने वन विभाग पर हमला बोल दिया। उसके बाद सरकारी अधिकारियों के हौसले पस्त हो गए। महाकोशल और विंध्य के इलाकों में अवैध खनन के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार में अवैध खनन का कारोबार बढ़ा, घोटाले हुए फिर भी भाजपा के नेता कहते हैं कि प्रदेश सरकार का कामकाज अच्छा है। अगर यह अच्छा है तो फिर सरकार को खुलेआम माफियाओं को छूट दे देनी चाहिए।
बहरहाल, प्रदेश में पिछले समय से घटित घटनाओं ने सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा किया है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले को लेकर सरकार कटघरे में है। भाजपा के कई नेताओं सहित रसूखदारों के नाम इस घोटाले में शामिल है। अदालत के आदेश के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश में दवा घोटाले ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। प्रदेश के महालेखाकार ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि 28 करोड़ से ज्यादा की अमानक स्तर की दवाएं बिना जांच सरकारी अस्पतालों से मरीजों को बांट दी गई हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है और सरकार एजी की रिपोर्ट को झुठलाने में लग गई है। बताया जा रहा है कि इस कांड में दवा माफिया का हाथ है। प्रदेश में कई ऐसी दवाएं भी बिक रही हैं जो अन्य राज्यों में प्रतिबंधित है।