यहां के लोग संस्कृत में करते हैं बात, कहलाता है 'संस्कृत गांव'
एक ऐसा गांव जहां हर कोई आपस में संस्कृत में बात करता मिले। वहां घरों के बाहर मालिकों के नाम भी संस्कृत में मिले। आज के समय में यह अविश्वसनीय लगता है किन्तु ऐसा है। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले का झीरी गांव जहां पर लोगों की भाषा संस्कृत है। इसी भाषा के नाम पर ही झीरी का नाम पड़ गया है संस्कृत गांव। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के प्रोजेक्ट 'मम गृहम्-संस्कृत गृहम्" के द्वारा यह सब संभव हुअ है। अब इस तरह का प्रोजेक्ट राजधानी भोपाल में भी शुरू किया जा रहाहै।
भोपाल शहर में एक ऐसा मुहल्ला बनाने की तैयारी है, जहां हर घर की भाषा संस्कृत होगी। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने पंचशील नगर को अपने पायलट प्रोजेक्ट 'मम गृहम्-संस्कृत गृहम्" के लिए चुना है।
इस मुहल्ले में पिछड़ी जाति के लोगों की बहुलता है। ब्राह्माण परिवार बहुत कम हैं। संस्थान का उद्देश्य संस्कृत भाषा को कर्मकांड से आगे ले जाकर आम बोलचाल की भाषा बनाना है। गांव में सफलतापूर्वक काम करके इसे शहरी क्षेत्र में शुरू करने का फैसला लिया है।
प्रोजेक्ट के तहत पंचशील नगर के हर घर को संस्कृत पाठशाला से जोड़ा जाएगा। इसमें परिवार के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हो सकेंगे। पाठशाला की शुरूआत बीते सप्ताह शिक्षा मंत्री द्वारा की जा चुकी है। संस्थान ने तीन साल में पंचशील नगर को संस्कृत नगर के रूप में तैयार करने का लक्ष्य तय किया है। योजना यही है कि इस दौरान यहां के रहवासी इतनी संस्कृत सीख लें कि वे मुहल्ले के लोगों और परिवार में इसी भाषा में वातार्लाप करें।
पंचशील नगर के सभी लोगों के घर के आगे नाम पट्टिका भी अंग्रेजी या हिंदी के बजाय संस्कृत भाषा में लिखी होगी। इसमें नाम में विसर्ग आदि लग जाता है। कई उपनाम संस्कृत में अलग ढंग से लिखे जाते हैं। इसी मुहल्ले के सरदार पटेल शासकीय हाइस्कूल में सुबह आठ से नौ बजे और शाम को छह से नौ बजे तक संस्कृत की पाठशाला शुरू हो गई है। संस्कृत तथा उसके साहित्य के अध्यापन क्षेत्र में अनुसंधान और व्यापक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक अधिनियम के माध्यम से महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की स्थापना वर्ष 2008 में की थी।