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18 March 2020

फ्लोर टेस्ट को लेकर शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

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मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगी।  इससे पहले सुनवाई में मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को लेकर शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा स्पीकर और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी किया था। अदालत ने कहा था कि आदेश की कॉपी, ईमेल, वाट्सएप के माध्यम से बागी विधायकों को भी दिया जाए।

क्योंकि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है

मंगलवार को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार और विधान सभा के सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि कल सुबह यानी बुधवार को साढ़े बजे मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले भाजपा की तरफ से बहस करते हुए मुकुल रोहतगी ने अपनी दलील में कहा था कि मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है।

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शिवराज सिंह चौहान की याचिका परसुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट

बता दें कि कमलनाथ सरकार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। चौहान ने अपनी याचिका में कहा है कि कमलनाथ सरकार के पास सत्ता में बने रहने का ‘कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार' नहीं रह गया है। इस याचिका पर मंगलवार को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने सुनवाई की।

विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद शिवराज ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

इससे पहले सोमवार को तेजी से हुए घटनाक्रम में चौहान और भाजपा के नौ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति के 26 मार्च तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित किए जाने के तुरंत बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। प्रजापति ने कोरोना वायरस का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित की। याचिका का अविलंब सुनवाई के लिये शीर्ष अदालत के संबंधित अधिकारी के समक्ष उल्लेख किया गया जिसमें विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को मध्य प्रदेश विधानसभा में इस अदालत के आदेश देने के 12 घंटे के भीतर राज्यपाल के निर्देशों के अनुसार शक्ति परीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की गई।

अधिवक्ता सौरभ मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार विश्वास खो चुकी है। इन 22 विधायकों में से छह के इस्तीफे अध्यक्ष पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई कानूनी, नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।

सोमवार को सदन में क्या हुआ

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों के बाद सदन में शक्ति परीक्षण कराने की भाजपा की मांग और प्रदेश सरकार द्वारा स्पीकर का ध्यान कोरोना वायरस के खतरे की ओर आकर्षित किए जाने के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी। राज्यपाल द्वारा शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर विश्वास मत हासिल करने के निर्देश दिए जाने का हवाला देते हुए भाजपा ने अभिभाषण के बीच शक्ति परीक्षण कराने की मांग की। राज्यपाल को सदन में अभिभाषण पढ़ते हुए एक मिनट ही हुआ था कि भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल ऐसी सरकार का अभिभाषण पढ़ रहे हैं जो अल्पमत में है। हालांकि राज्यपाल ने विधायकों से अपील की कि वह नियमों का पालन करें और शांति से काम लें। उन्होंने विधायकों से लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए संवैधानिक परंपराओं का पालन करने का आग्रह किया।

जानें क्यों चढ़ा सियासी पारा

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षा किये जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये। उनके साथ ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के समर्थक हैं। शनिवार को अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए जबकि शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।

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TAGS: SC, hear today plea, BJP leaders, urgent, floor test, in Madhya Pradesh
OUTLOOK 18 March, 2020
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