कश्मीर में 24 जुलाई तक स्कूल-कॉलेज बंद, दूसरे दिन भी नहीं आए अखबार
हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में जारी हिंसा और प्रदर्शनों से पैदा हुए हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने घाटी के सभी स्कूलों और कॉलेजों को 24 जुलाई तक बंद रखने का आदेश दिया है। राज्य के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने बताया, हमने स्कूल और कॉलेजों की गर्मी की छुट्टियां एक और हफ्ता बढ़ाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि यह फैसला घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। घाटी में 17 दिन की गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल और कॉलेज कल सोमवार से खुलने थे। अगर हालात सामान्य रहे तो 25 जुलाई को ये संस्थान खुल जाएंगे। वहीं सरकार की मीडिया पर की गई कथित कार्रवाई के बाद कर्फ्यू ग्रस्त कश्मीर घाटी में रविवार को लगातार दूसरे दिन भी स्थानीय अखबार नहीं छपे। शनिवार को कथित तौर पर प्रशासन ने कुछ मीडिया घरानों में छापा मारा था और प्रकाशित प्रतियों को कब्जे में ले लिया था। इसके विरोध में अखबार मालिकों ने अखबार नहीं छापने का फैसला लिया जिस वजह से और अंग्रेजी, उर्दू तथा कश्मीरी किसी भी भाषा का अखबार बाजार में नहीं आया।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कथित तौर पर शनिवार को शहर के बाहर औद्योगिक इलाके रंगरेथ स्थित अखबारों की प्रिंटिग प्रेस पर छापे मारे और अखबार प्रकाशित नहीं करने दिए। पुलिसकर्मियों ने अखबारों की प्लेटें और प्रकाशित प्रतियां जब्त कर प्रिंटिग प्रेस को बंद कर दिया था। पुलिस कार्रवाई के बाद कश्मीर के अखबारों के संपादकों, प्रकाशकों और मुद्रकों के बीच कल प्रेस कॉलोनी में बैठक हुई। पत्रकारों ने भी कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया। हालांकि शनिवार देर रात घाटी में केबल टीवी सेवा बहाल हो गई जो बीते 24 घंटे से बाधित थी। वहीं बीएसएनएल को छोड़कर घाटी में अन्य मोबाइल सेवाएं अब भी निलंबित हैं। उत्तरी कश्मीर के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में शनिवार को लैंडलाइन फोन कनेक्शन काट दिए गए थे। जबकि घाटी में सभी लैंडलाइन कनेक्शनों में इंटर-एक्सचेंज कॉल सुविधा को आज बंद कर दिया गया जिससे गृह जिलों से बाहर के किसी फोन पर कॉल नहीं जा सकता। बीते आठ दिनों से घाटी में बीएसएनएल के अलावा सभी मोबाइल सेवाएं रद्द हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह कदम हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया, हमले और प्रदर्शन के लिए भीड़ को टेलीफोन के जरिए उकसाया जा रहा था।