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10 September 2017

वैज्ञानिक होकर भी दिमाग से नहीं निकला जातिगत भेदभाव, लोगों ने बताया शर्मनाक

निर्मला यादव. फोटो- NDTV

वैज्ञानिक होना और वैज्ञानिक सोच का होना दो बिल्कुल अलग बातें हैं। जरूरी नहीं कि कोई वैज्ञानिक हो और उसकी सोच भी वैज्ञानिक हो। कई लोग वैज्ञानिक ना होकर भी वैज्ञानिक सोच के हो सकते हैं, वहीं कई वैज्ञानिक विशुद्ध दकियानूसी हो सकते हैं और ये बात साबित हुई पुणे की एक घटना से।

भारत के मौसम विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक मेधा विनायक खोले ने अपने घर में काम कर रही निर्मला यादव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। निर्मला पर आरोप यह है कि उसने अपनी जाति और वैवाहिक स्थिति छुपा कर उनकी 'धार्मिक भावनाओं' को आहत किया है।

खोले ने अपनी शिकायत में कहा है कि उन्हें धार्मिक अवसरों के दौरान अपने घर में खाना पकाने के लिए एक विवाहित ब्राह्मण महिला की जरूरत थी। लेकिन निर्मला ने अपनी जाति और वैवाहिक स्थिति छिपाकर खुद को निर्मला कुलकर्णी बताया। महिला उनके घर साल 2016 से हर खास आयोजन पर खाना बनाने के लिए आती थीं।

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उन्होंने बताया, हाल ही में गणेश उत्सव के दौरान मेधा को महिला के "ब्राह्मण" न होने की जानकारी मिली। इसके बाद शिकायतकर्ता स्पष्टीकरण मांगने के लिए महिला के घर गई। वहां जाकर उन्हें पता चला कि निर्मला जाति से 'यादव' हैं और 'विधवा' हैं। खोले ने दावा किया कि यादव ने उनके साथ दुर्व्यवहार और हाथापाई भी की। इसके बाद मेधा ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और धोखाधड़ी करने का केस दर्ज करवाया है।

इस मामले को लेकर सिंहगढ़ पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (आचरण द्वारा धोखाधड़ी), 352 (हमला या अपराधी बल के लिए सजा) और 504 (शांति का उल्लंघन करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।

एनडीटीवी इंडिया की ख़बर के अनुसार, मेधा का आरोप है कि साल 2016 में निर्मला ने ख़ुद को ब्राह्मण और सुहागिन बताकर ये नौकरी ली और उस समय उन्होंने अपना नाम निर्मला कुलकर्णी बताया था जबकि वह दूसरी जाति से हैं। डॉ. मेधा के मुताबिक इस साल 6 सितंबर को उनके गुरुजी ने बताया कि निर्मला ब्राह्मण नहीं हैं।

निर्मला यादव के दामाद तुषार काकडे जो कि शिवसंग्राम संगठन के पदाधिकारी हैं साथ ही मराठा आंदोलन में एक सक्रिय सहभागी भी कहते हैं, ‘हम डॉ. खोले की कड़ी निंदा करते हैं जो कि एक वैज्ञानिक होते हुए भी कहती हैं कि उनकी भावना एक दूसरी जाति की विधवा महिला के हाथ से खाना बनवाने के कारण आहत हो गई है।’

वहीं सोशल मीडिया पर भी वैज्ञानिक की इस सोच की आलोचना की गई। 





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TAGS: medha khole, nirmala yadav, pune scientist
OUTLOOK 10 September, 2017
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