पंचायत में लिखी गई गुमला सामूहिक हत्या की पटकथा, डायन बिसाही के नाम पर मारे गये एक ही परिवार के पांच सदस्य
गुमला के कामडारा में पांच लोगों की सामूहिक हत्या ने झारखण्ड को एकबार फिर अंधविश्वास को लेकर कलंकित किया। आज के इस दौर में भी डायन बिसाही के शक में इनकी हत्या हुई। दरअसल गांव में लोग बीमार पड़ रहे थे, कुछ की मौत हुई थी। इसका इल्जाम निकोदिन और जोसफिना टोपनो पर लगा। मंगलवार को पंचायत बैठी जिसमें कोई छह-सात दर्जन लोग शामिल हुआ। सजा देने का फैसला हुआ। जानकार बताते हैं कि पंचायत में कुछ लोग हत्या के पक्ष में नहीं थे। अंतत: कोई एक दर्जन लोग तैयार हुए और उसी दिन यानी मंगलवार की रात निकोदिन, जोसफिना को टांगी से काट डाला। साक्ष्य मिटाने के ख्याल से उनके बेटे विसेंट, बहू सिलवंती और पांच साल के पोते को भी काट डाला। बच गई तो सिर्फ अंजला जो रांची में अपनी मौसी के घर रहकर पढ़ाई करती थी। खेती-बारी और सब्जी बेचकर ये जीवन यापन करते थे। पूरे गांव में आदिवासी समाज के ही लोग रहते हैं ज्यादातर आपस में रिश्तेदार हैं। हत्या की घटना को भी रिश्तेदारों ने अंजाम दिया।
चूंकि पूरी पंचायत में सजा का फैसला हुआ था इसलिए सामूहिक हत्या की जानकारी पुलिस को मिली और पुलिस वाले गांव पहुंचे तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था। खोजी कुत्ते आये तो दो घरों में पहुंचे जहां से हत्या में इस्तेमाल टांगी भी बरामद हुई। फिर पुलिस ने एक दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की तो राज खुला। कांड में शामिल आठ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गुमला के पुलिस अधीक्षक जनार्दन शर्मा ने शुक्रवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि डायन बिसाही के शक में पूरे परिवार की हत्या की गई है। मंगलवार 23 फरवरी को पंचायत बैठी थी जिसमें कोई 80 लोग शामिल हुए थे। रणनीति यहीं तैयार हुई और आठ लोग हत्या के लिए तैयार हुए जो उनके रिश्तेदार भी हैं। हत्या के आरोप में सुनील टोपनो, सोमा टोपनो, सलीम टोपनो, फिरंगी टोपनो, फिलिप टोपनो, अमूत टोपनो, सादानियल टोपनो और सावन टोपनो को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हद तो तब हो गई जब पोस्टमार्टम के बाद शवों को परिजन टिमटीमाना गांव में दफनाना चाहते थे। शवों के कटे होने का हवाला देकर ग्रामीणों ने इसका जमकर विरोध किया। अंतत: पुलिस हस्तक्षेप के बाद पांचों को अपने ही घर की जमीन में दफन करना पड़ा।