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10 November 2024

दिवाली के बाद 10वें दिन भी दिल्ली में धुंध की चादर छाई, वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब'

दिवाली के बाद लगातार 10वें दिन भी दिल्ली वायु प्रदूषण से जूझ रही है और रविवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में धुंध की घनी चादर छाई रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आज सुबह 8 बजे 335 दर्ज किया गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया है।

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर-इंडिया) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता का स्तर बहुत खराब दर्ज किया गया।

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सफर-इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार में एक्यूआई 351, बवाना में 383, सीआरआरआई मथुरा रोड पर 323, द्वारका सेक्टर 8 में 341, आईजीआई एयरपोर्ट पर 326, आईटीओ में 328, लोधी रोड में 319, मुंडका में 358, नजफगढ़ में 341, न्यू मोती बाग में 394, ओखला फेज-2 में 339, आरके पुरम में 368 और वजीरपुर में 366 दर्ज किया गया।

दिल्ली के कर्तव्य पथ से प्राप्त तस्वीरों में इंडिया गेट के आसपास का इलाका धुंध की चादर से घिरा हुआ दिखाई दे रहा है। सुबह 7 बजे तक इलाके में एक्यूआई 357 दर्ज किया गया। कालिंदी कुंज और आसपास के इलाकों में ऊंची इमारतें धुंध की चादर में ढक गईं और क्षेत्र में एक्यूआई 323 दर्ज किया गया।

दिल्ली का धौला कुआं भी धुंध की चपेट में रहा और सीपीसीबी के अनुसार इस क्षेत्र में एक्यूआई गिरकर 394 पर पहुंच गया जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया है।

एक्यूआई को '200 और 300' के बीच 'खराब', '301 और 400' के बीच 'बहुत खराब', '401-450' के बीच 'गंभीर' तथा 450 और इससे अधिक को 'गंभीर प्लस' माना जाता है।

राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर "बहुत खराब" स्तर पर पहुंचने के बीच डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को श्वसन संबंधी कोई बीमारी नहीं है, वे भी सांस लेने में समस्या से पीड़ित हो रहे हैं।

अपोलो अस्पताल में श्वसन संबंधी गंभीर देखभाल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निखिल मोदी ने कहा कि नियमित रोगियों के अलावा, जिन लोगों को पहले कोई श्वसन संबंधी समस्या नहीं थी, उनमें भी बहती नाक, छींकने, खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं और सांस लेने में कठिनाई बढ़ रही है।

अपोलो के डॉक्टर ने आगे सुझाव दिया कि सरकार को बच्चों के लिए स्कूल बंद कर देने चाहिए क्योंकि वे अभी भी असुरक्षित हैं। डॉ. मोदी ने कहा कि जब भी प्रदूषण का स्तर एक निश्चित सीमा से ज़्यादा हो जाता है, तो सरकार स्कूलों को बंद करने का विकल्प चुनती है।

डॉक्टर ने कहा, "पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि सरकार ने कार्रवाई की है। जब भी प्रदूषण का स्तर एक निश्चित सीमा से आगे बढ़ा है, तो उन्होंने स्कूलों को बंद करने का विकल्प चुना है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चे एक कमजोर समूह से हैं। एक वयस्क के रूप में, हम मास्क पहनते हैं और खुद को बेहतर तरीके से बचा सकते हैं, लेकिन बच्चे आमतौर पर इन उपायों को प्रभावी ढंग से नहीं अपनाते हैं। दूसरा, उनके फेफड़े अभी भी विकासशील अवस्था में हैं, इसलिए उन्हें इस प्रदूषण के कारण अधिक नुकसान होना तय है।"

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TAGS: Air quality index, delhi, air pollution, diwali effects, smog
OUTLOOK 10 November, 2024
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