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03 May 2023

मध्य प्रदेश: बाघ प्रदेश की कहानी तो अलग

यह महज इत्तेफाक है कि जब देश ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बन रहा था, मध्य प्रदेश के जंगल कुछ अलग ही कहानियां और किस्से बयान कर रहे थे। नर चीता ओबान अचानक कूनो राष्ट्रीय उद्यान से गायब हो गया और उद्यान से सटे गांव के खेतों में जा पहुंचा। उसकी मौजूदगी से लोगों में भगदड़ मच गई। राहत की बात थी कि कड़ी मशक्कत के बाद ओबान को उद्यान में वापस पहुंचा दिया गया। चीते उद्यान की हद लांघकर आसपास के गांवों में पहुंचने लगे हैं। ओबान उन आठ चीतों में है जिसे सितंबर 2022 में नामीबिया से लाया गया था। इसके जरिये चीतों को एक बार फिर से लाकर देश में बसाना है, जो 70 वर्ष पहले विलुप्त हो चुके थे। चीतों के लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान को सबसे ज्यादा उपयुक्त माना गया, जहां गुजरात के गिर से शेरों को लाकर बसाया जाना था। इस बात को लगभग छह महीने बीत चुके हैं और चीते अब पार्क के वातावरण के अनुरूप ढल गए हैं। वे पार्क में विचरण करने लगे हैं, मगर कहानी में एकाएक ट्विस्ट आ गया है। दो चीतों की मौत हो गई।

 

इधर, देश प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के जश्न में शामिल हुआ। इस उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘टाइगर विजन’ जारी करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट की सफलता न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने न केवल बाघों की आबादी को घटने से बचाया है, बल्कि बाघों को फल-फूलने के लिए एक बेहतरीन ईकोसिस्टम भी प्रदान किया है।

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भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि आंकड़ों के लिहाज से 2022 में किया गया अखिल भारतीय बाघ गणना सर्वे अब तक दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव सर्वेक्षण है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के अनुसार इसके तहत 20 राज्यों में करीब 6,41,449 किलोमीटर का पैदल सर्वे किया गया। करीब 32,588 स्थानों पर लगाए गए कैमरों से कुल 4,70,81,881 तस्वीरें ली गईं। इनमें बाघों की 97,399 तस्वीरें शामिल हैं। कैमरे में एक वर्ष से अधिक आयु के बाघों की कुल 3,080 तस्वीरें कैद हुईं। पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निष्कर्षों के आधार पर भारत में बाघों की न्यूनतम आबादी 3,167 होने का अनुमान है और यह बाघों की आबादी में उत्साहजनक वृद्धि को दर्शाता है। 2018 में यह आंकड़ा 2967 था।

निश्चित ही प्रोजेक्ट टाइगर किसी वन्य प्राणी के संरक्षण की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो दुनिया भर में कहीं और देखने को नहीं मिलती है। इस प्रोजेक्ट के बदौलत आज भारत में बाघों की संख्या दुनिया के कुल बाघों की करीब दो-तिहाई तक पहुंच गई है। देश की इस बड़ी उपलब्धि के बीच मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से एक अलग ही कहानी निकलकर आती है। बांधवगढ़ के क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा के मुताबिक उनके दल को एक हाथी का शव वन परिक्षेत्र पनपथा कोर के बीट चितरांव बड़वाह मूड़ा में मिलता है। शव लगभग दो साल के हाथी का है और तहकीकात करने पर शव के गले पर बाघों के दांत और नाखूनों के गहरे निशान मिले हैं। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि हाथी की पिछला हिस्सा काफी हद तक गायब है और हाथी को घसीटने के निशान भी हैं। आसपास ही हाथी और बाघ के संघर्ष के कई निशान भी हैं। खोजबीन करने पर पता चला कि मध्य प्रदेश में बाघ द्वारा हाथी मारकर खाने का यह संभवत: पहला मामला है। मिश्रा भी इस बात को मानते हैं।

 

जो भी हो, पार्क छोड़कर बस्तियों के आसपास ओबान के विचरण और बाघों द्वारा किए गए हाथी के शिकार कहानियों से ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली कहानी तो प्रदेश में 2022 में हुए बाघों की मौत से जुड़ी है।

 

गणना के अनुसार ‘बाघ प्रदेश’ से पहचाने जाने वाले मध्य प्रदेश में 2022 में 34 बाघों की मौत हुई। यह बात चौंकाती है और प्रदेश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। चिंता इस बात की है कि मध्य प्रदेश में बाघों की मौत कर्नाटक की तुलना में बहुत अधिक है। कर्नाटक में 2022 के दौरान 15 बाघों की मौत हुई है। बाघों की आबादी के मामले में मध्य प्रदेश और कर्नाटक बराबरी में हैं। पिछली राष्ट्रीय बाघ गणना के अनुसार दोनों राज्यों में बाघों की संख्या लगभग समान थी। मतलब 2018 की गणना के अनुसार कर्नाटक में 524 बाघ थे और मध्य प्रदेश में भी उतने ही बाघों की आबादी दर्ज की गई थी। हमारे देश में बाघों की गणना हर चार साल में एक बार की जाती है।

 

पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निष्कर्षों के आधार पर भारत में बाघों की न्यूनतम आबादी 3,167 होने का अनुमान है और यह बाघों की आबादी में उत्साहजनक वृद्धि को दर्शाता है। 2018 में यह आंकड़ा 2967 था।

 

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होना मध्य प्रदेश के लिए कई दूसरी खुशखबरी भी साथ लेकर आया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी टाइगर रिजर्व के प्रभावी प्रबंधन एवं मूल्यांकन की ताजा रिपोर्ट में देश के टॉप फाइव टाइगर रिजर्व में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को द्वितीय एवं मध्य प्रदेश को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में आता है।

 

फिलहाल जो भी हो, देश का दिल कहे जाने वाले इस प्रदेश से हमेशा की तरह सभी को अचंभित और रोमांचित करने वाली कहानियों की गूंज हमेशा ही सुनाई देती रहेगी। मसलन, खेतों से अपनी वापसी के ठीक एक हफ्ते बाद ही जिद्दी बच्चे की तरह ओबान फिर अपना घर (पार्क) छोड़ शिवपुरी जिले के बेरार तहसील के एक गांव पहुंच गया है। वन विभाग के अमले ने उसे दोबारा घर पहुंचाने के लिए एक बार फिर दिन-रात एक कर दिया ताकि वह सुरक्षित घर पहुंच जाए। 

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TAGS: Tiger, tiger in madhya pradesh, Indian animal welfare, wildlife, world wide fund for nature, tiger species, tiger endangered species,
OUTLOOK 03 May, 2023
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