हड़ताल से घाटी में जनजीवन प्रभावित
हड़ताल के दौरान श्रीनगर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। वहीं सड़कों पर सार्वजनिक वाहन भी कम उतरे। शहर में सड़क के किनारे दुकान लगाने वालों की संख्या भी बहुत कम रही। संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, और बैरिकेड भी लगाये गए हैं।
हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद जारी आंदोलन में ढील देते हुए अलगाववादी पहले ही हर शुक्रवार और शनिवार को बंद का आह्वान कर चुके हैं। घाटी में पांच माह से अधिक समय तक अशांति रही है। इस दौरान 86 लोगों की मौत हुई और 5000 सुरक्षाकर्मियों समेत हजारों अन्य घायल हुए। हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों गुटों और जेकेएलएफ समेत अन्य अलगाववादी संगठनों ने कल डब्ल्यूपीआर के मुद्दे पर शुक्रवार और शनिवार को संपूर्ण बंदी का आह्वान किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि डब्ल्यूपीआर को पहचान पत्र जारी करने का लक्ष्य जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलना है।