Advertisement
11 August 2020

हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की दर, लॉकडाउन के दौरान 349 लोगों ने गंवाई जान

Symbolic Image

बीते महीने सोशल मीडिया पर लगभग डेढ़ साल पहले शादी हुए एक युवा जोड़े की तस्वीर वायरल हुई थी, जिनका शरीर हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू जंगल में देवदार के पेड़ से लटकी मिला थी। इस तस्वीर ने राज्य भर में सदमें वाली लहर पैदा कर दी।

दंपति ने आत्महत्या कर ली। इस भयावह कदम को उठाने से पहले उन्होंने एक-दूसरे को कसकर पकड़ लिया। बाद में पुलिस ने एक सुसाइड नोट बरामद किया जिसमें संपत्ति और पारिवारिक विवाद की वजह से बड़े भाई और उसकी पत्नी पर इस कदम को उठाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया था।

इसी तरह की एक अन्य घटना में, 28 साल की महिला ने 25 अप्रैल को कांगड़ा जिले के खनियाना गाँव में आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके पति ने कोविड-19 महामारी के दौरान उसे बाहर निकलने के लिए डांटा और दरवाजे में ताला लगा दिया। एक अन्य 33 वर्षीय महिला जसप्रीत कौर ने अपने बच्चे को लेकर पति के साथ झगड़ा होने के बाद शिमला में अपने घर पर जान ले ली। ये बच्चा मोबाइल गेम 'पीयूबीजी' का आदी था।

Advertisement

इस सप्ताह हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलाता है कि पिछले छह महीने में विशेष रूप से फरवरी से जुलाई के बीच प्रदेश में आत्महत्या के कारण 466 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवाई। इनमें से अप्रैल, मई, जून और जुलाई में 349 मामले सामने आए। इसकी वजह से राज्य में आत्महत्या के मामलों में काफी वृद्धि हो गई है।

मामलों में हुए इजाफा में जनवरी से मासिक आत्महत्याओं की संख्या में वृद्धि देखी गई है। जनवरी में 40 मामले आत्महत्या के सामने आए। लेकिन जून के अंत तक ये संख्या बढ़कर 112 हो गई, जबकि जुलाई में 101 लोगों की मौत आत्महत्या की वजह से हुई। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस भयावह कदम को उठाने की संख्या लगभग 60:40 के अनुपात में है, जो परेशान करने वाला है।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार के प्रोफेसर डॉ विकास डोगरा कहते हैं, "प्राथमिक कारण भावनात्मक और शारीरिक दोनों तरीक से अलगाव का होना है। सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के बावजूद वास्तविक भावनात्मक कनेक्शन को छोड़ दिया गया। साथ ही, कई लोगों के नौकरी जाने, वित्तीय देनदारियों और करियर संबंधी मुद्दों से संबंधित तनाव और चिंता से निपटना कठिन होता है। इसे अति संवेदनशीलता की भावना से जोड़ने से आपको मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक अच्छा नुस्खा मिलता है।"

पीड़ितों को उनकी उम्र के आधार पर प्रोफाइलिंग से पता चला है कि जिनकी उम्र 18 से 35 साल यानी इस उम्र में छात्र और नए शादीशुदा लोग शामिल होते हैं और 35 से 50 साल, जिसमें परेशान शादीशुदा लोगों की जिंदगी और व्यस्त पेशेवर जीवन शामिल होते हैं, उन्होंने सबसे ज्यादा आत्महत्या करने का कदम उठाया।

पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हर दिन औसतन तीन लोग आत्महत्या कर रहे हैं। जबकि ये राज्य अपनी शांति और मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है।

कुंडू का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से इस मामले पर चर्चा की है। राज्य सरकार के विभिन्न एजेंसियों को इस मुद्दे पर पुलिस मामलों के आधार पर विश्लेषण करने और पुख्ता कारणों का पता लगाने के लिए कहा है।

शिमला के हिमाचल हॉस्पिटल में मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय पाठक का मानना है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान कई लोगों ने एविएशन, चिंता और अवसाद की वजह से आत्महत्या की।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इन मामलों को गहराई से देखने और समस्या को हल करने की जरूरत है। लॉकडाउन के दौरान कई युवाओं की नौकरी चली गई है। कारोबार में गिरावट, बढ़ते कर्ज और पारिवारिक तनावों ने भी इस मामले में जोर दिया है।

बद्दी औद्योगिक क्षेत्र के एक कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि ठेकेदार ने लॉकडाउन के दौरान दो महीने से मजदूरी नहीं दी थी। 36 वर्षीय एक कर्ज में डूबे दुकानदार ने कुल्लू जिले में खुद को फांसी लगा ली, क्योंकि उसे अपनी कपड़े की दुकान में नुकसान हो रहा था, जिसे कोविड-19लॉकडाउन के कारण बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बैंकों और व्यक्तियों से लिए ऋण को चुकाने में वो असमर्थ था।

डॉ. पाठक ने कहा कि तनाव और चिंताओं से निपटने के लिए प्रभावित नागरिकों को परामर्श प्रदान करने के लिए विभाग द्वारा हेल्पलाइन ‘104 शुरू की गई है।

लेकिन, कई लोग इसे आंशिक रूप से युवाओं में ड्रग्स और अल्कोहल की समस्या के लिए मानते हैं। पढ़ाई में अच्छा नहीं करने, माता-पिता द्वारा डांटे जाने, पॉकेट मनी से वंचित होने या प्रेम प्रसंग में असफल होने के कारण आत्महत्या करने के मामलों में किशोर, लड़कियों और युवाओं को पाया जा रहा है। 

शिमला पुलिस अधीक्षक उमापति जम्वाल ने कहा, “पुलिस ने शिमला जिले में कुछ मामलों में विस्तृत जांच की है। वयस्क पुरुषों के मामले में पारिवारिक संघर्ष और शराबबंदी कारक थे। जबकि, महिलाओं के मामलों में उन पर हो रहे अत्याचार, उनकी उपेक्षा, घरेलू हिंसा और वित्तीय असुरक्षा जैसे कुछ कारण थे। अत्यधिक शराब की स्थिति में नेपाली मजदूर भी आत्महत्या कर रहे हैं। ”

 

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Suicide Rates, Himachal Pradesh, Covid, कोरोना संकट
OUTLOOK 11 August, 2020
Advertisement