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09 February 2018

सीलिंग मामलाः प्रस्तावित मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगी रिपोर्ट

file photo

सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए और दिल्ली सरकार से चार दिन में जवाब मांगा है कि क्या दिल्ली के प्रस्तावित मास्टर प्लान 2021 पर पर्यावरण के पड़ने वाले प्रभावों का आकलन किया गया है?

जस्टिस मदान बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने डीडीए, दिल्ली सरकार और नगर निकायों को एक सप्ताह में जबाव दाखिल करने को कहा है कि क्या मास्टर प्लान संसोधित करने के लिए दिल्ली की यातायात व्यवस्था, बिल्डिंग की सुरक्षा, पार्किंग और नागरिक सुविधाओं का ध्यान रखा गया है? पीठ यह भी बताएं कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के 2007 के बाद  प्रदूषण के आंकड़े क्या हैं? मालूम हो कि डीडीए ने हाल में प्रस्तावित मास्टर प्लान में फ्लोर एरिया रेशिया (एफएआर) बढ़ाने और अन्य संसोधन प्रस्तावित किए हैं ताकि सीलिंग का सामना कर रहे कारोबारियों को राहत मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट ने शाहदरा जोन में विधायक ओ पी शर्मा और पार्षद गुंजन गुप्ता द्वारा निगरानी समिति के काम में बाधा पहुंचाने के मा्मले में भी कड़ा रुख अपनाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की तौहीन का मामला चलाया जाए? कोर्ट ने दोनों को अगली सुनवाई पर कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा है। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि निगरानी समिति को अपना काम करने के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इससे पूर्व कोर्ट ने बढ़ते अवैध निर्माणों पर चिंता जताते हुए कहा था कि दिल्ली में बिल्डिंग बनाने के मामले में कानून पूरी तरह तोड़ दिया गया है। तब कोर्ट ने इस पर रोकथाम के लिए 24 मार्च 2006 में मानिटरिंग कमेटी बनाई थी। कमेटी में चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार के जे राव, ईपीसीए के चेयरमेन भूरेलाल तथा रिटायर्ड मेजर जनरल सोम झिंगन को शामिल किया गया था।

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OUTLOOK 09 February, 2018
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