सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की केजरीवाल की याचिका
न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि साक्ष्य कानून के तहत दीवानी कार्यवाही में सुनाया गया फैसला आपराधिक मामले पर बाध्यकारी नहीं है। पीठ ने कहा कि हमने फैसले देखे हैं। हम दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इसलिए मौजूदा याचिका खारिज की जाती है। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय दीवानी कार्यवाही में फैसला सुनाता है तो अधीनस्थ अदालत को उस मामले में कानून का अनुसरण करना होगा जो उन्हीं तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित हैं। उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत में जेटली द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया ओर कहा कि उच्च न्यायालय में दीवानी कार्यवाही जारी रहेगी।
उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को निचली अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि के मामले की कार्यवाही पर रोक के लिये दायर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उच्च न्यायालय में दीवानी मानहानि का मुकदमा जारी रखने में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। जेटली ने उच्च न्यायालय में दस करोड़ रुपये के हर्जाने का दावा करते हुये दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर करने के अलावा 21 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पांच अन्य नेताओं राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत भी दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि इन सभी ने दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन विवाद में उनकी मानहानि की है।
निचली अदालत में सात अप्रैल को केजरीवाल और अन्य सभी इस मामले में पेश हुए थे। इसके बाद अदालत ने सभी को जमानत दे दी थी। (एजेंसी)