आजादी के बाद पहली बार नक्सल प्रभावित ‘अबूझमाड़’ का सर्वे
जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकारी अमले के द्वारा अबूझमाड़ के गांव-गांव जाकर हर एक प्लॉट और घर का सर्वे किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने इस इलाके में पैठ बनाने की कोशिश की हो।
लगभग 4 हजार स्कवायर किलोमीटर में फैला अबूझमाड़ एक दुर्गम जंगली और पहाड़ी क्षेत्र है। इसमें छत्तीसगढ़ के तीन जिले नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा आते हैं। साथ ही महाराष्ट्र का कुछ भाग भी इसमें आता है। अबूझमाड़ को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां घने जंगल की वजह से नक्सलियों को छिपने,और रणनीति बनाने में आसानी होती है। साथ ही कहा जाता है कि नक्सल गतिविधियों का संचालन इसी जगह से होता है।
क्या है सर्वे की वजह?
प्रशासन ने मीडिया को बताया कि 'हम हर सुबह गांववालों को जमा करते हैं और उनके प्लॉट के बारे में उनसे पूछते हैं। प्लॉट की जानकारी मिलने के बाद उसे एक एफआईडी नंबर दिया जाता है। ये पूरी जानकारी ऑनलाइन अपडेट की जाती है।' प्रशासन के मुताबिक इस सर्वे का उद्देश्य रिवेन्यू रिकॉर्ड्स इकट्ठा करना है। ताकि लोगों को उनकी जमीनों पर हक दिलाया जा सके और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके। हालांकि माना ये भी जा रहा है कि सरकार इसके जरिए नक्सल प्रभावित इलाकों में खुद को मजबूत करना चाहती है। साथ ही गांव वालो को विश्वास में लेकर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है।