यूपी विधानसभा सदन में सभी कुर्सियों पर लगा टेबलेट, सरकार का पारदर्शी तंत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही प्रशासन में पारदर्शिता की बात कही थी। तमाम विभागों में ऑन लाइन सेवाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद ई-विधान प्रणाली लागू कर सीएम योगी ने इस संकल्प के प्रति और मजबूती दिखाई।
करोड़ों लाभार्थियों को डीबीटी से पहुँच रहा लाभ और ऑन लाइन सेवाओं के विस्तार से सुशासन को और सुदृढ़ करने के बाद पारदर्शी तंत्र बनाने की की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, उत्तर प्रदेश पूरे देश में विधान सभा की कार्यवाई को पूर्णतया पेपरलेस करने वाला पहला बड़ा राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत गुरुवार को ई -विधान एप्लीकेशन केंद्र का लोकार्पण किया था।
अब उत्तर प्रदेश में सदन की कार्यवाही पूरी तरह से पेपरलेस हो जाएगी, और सदन की सभी सीटों पर टैबलेट भी लगाए गए हैं। सदन में अब विधायक कागज-पेन नहीं बल्कि टैबलेट से सवाल-जवाब कर अपने क्षेत्र के मुद्दों को उठाएंगे, टैबलेट में सभी जगह का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। 'नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन' भारत सरकार द्वारा सभी विधानमंडलों के पेपरलेस कामकाज के लिए तैयार किया गया एक एप्लीकेशन है।
योगी सरकार द्वारा पिछले 5 वर्षों में कई और सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है। वर्तमान में, नैशनल गवर्नमेंट सर्विसेज़ पोर्टल के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 178 सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाने हेतु डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) प्रणाली के इस्तेमाल में उत्तर प्रदेश, देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है।
इस प्रणाली में अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं को जोड़ा गया है जिससे किसानों, महिलाओं, छात्राओं, छात्रों, वरिष्ठ जन, खिलाड़ियों, आदि को मिलने वाली आर्थिक मदद – जैसे छात्रवृत्ति, किसान सम्मान निधि, पेंशन, अनुदान, चिकित्सा हेतु सहायता आदि - सीधे उनके बैंक खातों में पहुँच रही है। इस पूरी प्रक्रिया में बिचौलियों के लिए कोई जगह नहीं है जिससे लाभार्थियों को अत्यंत सुविधा होती है।
वर्ष 2017 से अब तक, उत्तर प्रदेश सरकार ने रिकार्ड स्थापित करते हुए रु 3 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुंचाई है। केवल वर्ष 2020-21 में ही 56,000 करोड़ रुपए की धनराशि लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंची थी। मुख्य मंत्री की पहल से, 27 सरकारी विभागों की 137 योजनाओं को इस प्रणाली से जोड़ा गया था।
यही नहीं, कोविड महामरी के दौरान इस प्रणाली से लाखों किसानों, मनरेगा लाभार्थियों, मजदूर व कामगारों, महिलाओं, वृद्धजन, दिव्यंगों और पेंशन धारकों को उनके भुगतान समय से किये गए। इनमे ऋण-माफी के लाभार्थी, गन्ना किसान, फसल बीमा योजना, किसान मान धन व किसान सम्मान निधि के लाभार्थी, आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी, प्रधान मंत्री मुद्रा योजना, आवास योजना आदि की सेवाएं पूर्णतया ऑनलाइन हैं।
इसी प्रकार, सरकार द्वारा की गई सभी प्रकार की खरीद के टेन्डर भी जेम पोर्टल के माध्यम से जारी होते हैं। सरकारी खरीद में सफलता के नये आयाम स्थापित करते ही जेम पोर्टल से उत्तर प्रदेश में कुल 22000 करोड़ रुपए की खरीद हुई है जो देश में सर्वाधिक है।
ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उप्र सरकार के कई विभागों को पुरस्कार मिले हैं, जिनमे उच्च शिक्षा विभाग को दो पुरस्कार – डिजिटल लाइब्रेरी और ऑन लाइन एनओसी व संबद्धता सर्टिफिकेट प्रदान करने का सिस्टम शामिल है। रोजगार उपलब्ध करने की सहूलियत देने के उद्देश्य से बनाया गया ‘सेवा मित्र’ प्लेटफॉर्म, और खनन विभाग का ‘माइन मित्र’ प्लेटफॉर्म भी अपनी श्रेणी में पुरस्कृत किये गए हैं।
मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट रूप से मानना है कि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता लाने से न केवल जनता का काम जल्दी होता है, बल्कि भ्रष्टाचार और पक्षपात जैसे शिकायतें भी दूर होती हैं।