कश्मीर में सुलगते चिनारों का खतरनाक पैगाम
“पुलवामा के बाद बढ़ा फिदायीन हमलों का खतरा, मुठभेड़ों में ज्यादा नुकसान से सुरक्षा बलों की चिंताएं बढ़ीं”
हाल में मारे गए 22 वर्षीय आतंकी रकीब अहमद शेख पहले से रिकॉर्डेड एक वीडियो में एनकाउंटर के जवाब में फिदायीन हमलों का तर्क देता है। यह वीडियो 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद रिकॉर्ड किया गया, जिसमें ‘भारत के खिलाफ जेहाद’ और ‘फिदायीन हमलों की जरूरत’ का जिक्र है। उसका कहना है कि उसने सेना के खिलाफ लड़ने के लिए अपना घर-बार छोड़ दिया, क्योंकि वर्षों से सेना के हाथों हजारों लोग मारे गए, गिरफ्तार हुए और गायब कर दिए गए। उसने कहा कि भारत ने कश्मीर पर अत्याचार किया और उसने कश्मीरियों को ‘भारतीय कब्जे से’ आजाद कराने के लिए आतंकवाद का दामन थामा। फिर उसने यह बताया कि फिदायीन कैसे बना जाता है। वह कहता है कि उसने फिदायीन बनने का फैसला किया, क्योंकि फिदायीन को कोई नहीं रोक सकता। उसका कहना है कि जैश अब फिदायीन हमलों से लैस होगा और ऐसे हमलों को अंजाम देता रहेगा। शेख कहता है कि हम ऐसे “और हमलों से कश्मीर में भारतीय सेना की कमर तोड़ने जा रहे हैं।”
शेख का छह मिनट का रिकॉर्डेड वीडियो पुलवामा हमले के 19 वर्षीय फिदायीन आतंकवादी आदिल अहमद डार जैसा ही है। लेठपुरा हमले में 14 फरवरी को 40 सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने के बाद जैश ने यह वीडियो जारी किया था। 25 फरवरी को श्रीनगर से 70 किलोमीटर दक्षिण में कुलगाम जिले के तुरीगाम इलाके में शेख सहित जैश के तीन आतंकवादी मारे गए। मुठभेड़ में एक डिप्टी एसपी और सेना का एक जवान भी शहीद हो गए, जबकि एक मेजर सहित तीन सैनिक जख्मी हो गए। शेख कुलगाम के शिंगनपुरा का रहने वाला था, जबकि मारे गए दो अन्य आतंकवादी पाकिस्तानी थे। पुलिस पुलवामा हमले का जिक्र बड़े हमले के तौर पर करती है। उसका तर्क है कि इसने नए आतंकवादियों को नई अवधारणा दी है, जो “मानते हैं कि आरडीएक्स से लदा वाहन हथियार बन सकता है।” एक अधिकारी का कहना है, “यह एक गंभीर स्थिति है। अब ये कश्मीरी फिदायीन हैं।”
उनका कहना है कि पहले इन आतंकवादियों को लगता था कि एके-47 ही लड़ने का एकमात्र हथियार है और वे जोखिम लेकर भी इसे सुरक्षा बलों से छीन लेंगे। अधिकारी का कहना है, “पुलवामा ने सब बदल दिया है। इसका हल कैसे निकलेगा, इसका हम विश्लेषण कर रहे हैं।”
पुलवामा हमले के बाद 18 फरवरी को पुलवामा के पिंगलाना इलाके में सेना, सीआरपीएफ तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के साथ आतंकवादियों की मुठभेड़ हुई। 18 घंटे की इस मुठभेड़ में सेना के चार जवान और एक पुलिसकर्मी शहीद हो गए। एक ब्रिगेड कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक उप महानिरीक्षक घायल हो गए। यह मुठभेड़ लेठपुरा से लगभग 12 किलोमीटर दूर पिंगलीना गांव के नाइक मोहल्ला में हुआ। मुठभेड़ में जैश के दो आतंकी भी मारे गए, जिसमें एक स्थानीय आतंकी 24 वर्षीय हिलाल अहमद नाइक उर्फ राशिद था।
नाइक ने 1 जून 2018 को आतंकवाद का दामन थामा था और इससे पहले वह लेबोरेट्री तकनीशियन के रूप में काम कर रहा था। लैब ट्रेनिंग से पहले उसने 12वीं क्लास तक पढ़ाई की थी। मुठभेड़ में मारे गए विदेशी आतंकी की पहचान जैश कमांडर कामरान के रूप में हुई। कामरान के खात्मे को सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता के रूप में देखा गया, क्योंकि उसे पुलवामा आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाले 19 वर्षीय आदिल अहमद डार को भर्ती करने और प्रशिक्षण देने वाला मास्टरमाइंड बताया जा रहा था।
मुठभेड़ों में अधिक नुकसान सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय है। दो मार्च को यह साफ देखा गया, जब श्रीनगर से 100 किलोमीटर उत्तर हंदवाड़ा में मुठभेड़ में एक जवान की मौत के बाद उसके साथी श्रद्धांजलि समारोह में रोते देखे गए। यह मुठभेड़ एक मार्च को तब हुई जब जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी, सेना की 22 आरआर, 92 बटालियन सीआरपीएफ की एक संयुक्त टीम ने श्रीनगर से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में लंगेट के खानन बाबागुंड क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जैसा कि सुरक्षा बलों ने दिन के वक्त अनुमान लगाया कि मुठभेड़ स्थल से फायरिंग बंद होने के बाद दो आतंकवादी मारे गए। वे आतंकवादियों के शवों को निकालने के लिए उसकी ओर बढ़े। लेकिन, तभी एक आतंकवादी मलबे से उठ खड़ा हुआ और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर के कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या बढ़ने के कारण पुलिस प्रवक्ता ने तर्क दिया, “ऑपरेशन में भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से सुरक्षा बलों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।” अधिकारियों का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद से तीन बड़ी मुठभेड़ों में दो पुलिसकर्मियों सहित सुरक्षा बलों के 11 जवान मारे गए। पुलवामा हमले ने भारत और पाकिस्तान को परमाणु युद्ध की कगार पर ला दिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “टीवी चैनलों पर बहसें और तीखी हो गई हैं। पुलवामा के बाद काफी कुछ बदल गया है। बहसें बेहद तीखी और बदतर हो गई हैं। आतंकवादी अब बहुत प्रशिक्षित हैं और खतरा बढ़ गया है, क्योंकि आतंकवादी 14 फरवरी जैसे हमले दोहराने की कोशिश करेंगे। हम नए खतरों से निपटने के लिए तैयार हैं।”
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद ने हिज्बुल और लश्कर की जगह ले ली है। एक अधिकारी का कहना है कि राज्य में जैश के लगभग 60 आतंकी सक्रिय हैं। कार्रवाई के लिए ये आतंकी हमारी प्राथमिकता में हैं। साथ ही पुलिस का कहना है कि नई दिल्ली में सरकार के पास सामंजस्यपूर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण का अभाव है। सरकार इस पर ध्यान देने के बजाय चुनावी तैयारियों में लगी है। वह ऐसे फैसले ले रही है, जो राज्य को संकट में डाल देंगे, क्योंकि आतंकवाद बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच रही है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कश्मीर में भाजपा की ओर से अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35ए को रद्द करने की बात लगातार करना खतरनाक है और इसके गंभीर नतीजे होंगे।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती लगातार इस भावना का इजहार कर रही हैं। वह केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता और संवैधानिक गारंटी से वंचित करने के लिए ‘संवैधानिक दबंगई’ का सहारा लेने का आरोप लगाती हैं। महबूबा चेताती हैं, “यह जम्मू-कश्मीर में हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, जिसने उप-महाद्वीप को विनाशकारी युद्ध की दहलीज पर पहुंचा दिया। इसके बाद से लगातार जम्मू-कश्मीर के लोगों को अलग-थलग करने की कोशिश हो रही है। उनके संवैधानिक अधिकारों को रौंदा जा रहा है, जिसकी गारंटी भारत का संविधान देता है। अगर भारत सरकार की ऐसी कोई भी मंशा है, तो उसे तुरंत अपनी सोच बदलनी चाहिए।” उम्मीद है कि केंद्र इन चेतावनियों पर ध्यान देगा।