छत्तीसगढ़ के सुकमा नक्सली हमले में 17 जवान शहीद, मुठभेड़ के बाद थे लापता
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के जंगल में शनिवार से चल रही सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए। बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले शहीद जवानों को लापता बताया जा रहा था। बाद में इनके शवों को बरामद किया गया।
शहीद 17 जवानों में से 12 जवान डीआरजी के हैं। डीआरजी स्थानीय युवकों द्वारा बनाया गया सुरक्षा बलों का एक दल है, जो कि नक्सलियों के खिलाफ सबसे अधिक प्रभावी रहा है। मुठभेड़ में घायल 14 जवानों को इलाज के लिए रायपुर लाया गया है, इसमें 5 नक्सलियों के मारे जाने की भी खबर है। घायल जवानों को हेलिकॉप्टर द्वारा सुकमा से रायपुर लाकर रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती किया गया है। इसमें तीन जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि मिनपा इलाके में नक्सलियों की नंबर वन बटालियन की मौजूदगी की सूचना पर चिंतागुफा व आसपास के कैम्पों से एसटीएफ व डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड की टीमों को जंगल भेजा गया था। इस बटालियन का कमांडर कुख्यात नक्सल लीडर हिड़मा है। फोर्स की वापसी के दौरान नक्सलियों ने एम्बुश में जवानों को फंसा लिया। मौके पर शनिवार दोपहर ढाई बजे से शाम 5 बजे तक जमकर फायरिंग होती रही।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ शनिवार को चिंतागुफा इलाके में कोराजगुडा की पहाड़ियों के पास हुई जब सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी। पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन) के कार्मिकों ने एलमगुंडा के पास जानकारी के आधार पर चिंतागुफा, बुरकापाल और तिमेलवाड़ा शिविरों से ऑपरेशन शुरू किया। राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर स्थित एलमगुंडा के पास कोराजगुडा पहाड़ियों के माध्यम से जब टीम आगे बढ़ रही थी, तो दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई।
अधिकारी ने कहा, "इनपुट के आधार पर, यह माना जाता है कि कम से कम चार से पांच नक्सली मारे गए होंगे और एक समान संख्या में घायल हुए, क्योंकि सुरक्षा बलों ने जोरदार जवाबी कार्रवाई की थी।"
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि चौदह कर्मियों को चोटें आईं। उन्हें रायपुर ले जाया गया और एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो की हालत गंभीर बताई गई है।