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09 February 2020

सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास का काम रोके सरकार, पहले संसद में चर्चा हो- सीपीएम

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एम ने केंद्र सरकार से मांग की है कि संसद भवन सहित दिल्ली के सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास के लिए प्रस्तावित परियोजना के बारे में सारी जानकारी संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही दी जाए और इस पर चर्चा की जाए। जब तक संसद में विचार विमर्श पूरा नहीं हो जाता है, तब तक इसे रोक दिया जाना चाहिए।

संसद भवन पर सबसे ज्यादा असर होगा

माकपा की पोलित ब्यूरो ने एक बयान जारी करके कहा है कि आम नागरिकों के अलावा इस परियोजना का सबसे ज्यादा असर संसद पर पड़ेगा, इसलिए आवश्यक है कि सरकार को इस पर चर्चा करनी चाहिए। इस तरह के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर समुचित विचार विमर्श किए जाने की जरूरत है।

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सरकार भूमि की मालिक नहीं, अधिकार सीमित

सीपीएम ने कहा है कि सरकार को समझना चाहिए कि सेंट्रल विस्टा की जमीन जनता है और सरकार उसकी महज कस्टोडियन है। सुप्रीम कोर्ट 2जी स्पेक्ट्रम केस में प्राकृतिक संसाधनों के बारे में परिभाषा दे चुकी है। सरकार के पास दखल देने के अधिकार बहुत सीमित है। इसलिए वह इस परियोजना पर एकतरफा तौर पर कोई फैसला नहीं कर सकती है।

विशेषज्ञों की चिंताएं वाजिब

दिल्ली डवलपमेंट अथॉरिटी ने बीते छह और सात फरवरी को जन सुनवाई आयोजित की जिसमें बड़ी संख्या में नगर नियोजक, पर्यावरण विशेषज्ञ और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें लोगों की वाजिब चिंताएं थीं कि इसकी योजना भ्रामक है और तथ्यों को छिपाया गया है। इसलिए सरकार को इस परियोजना पर आगे बढ़ने से पहले संसद और जनता के समक्ष कुछ तथ्य रखने चाहिए। संसद में जानकारी देना भी सरकार की जिम्मेदारियों में शामिल है।

इस सवाल के जवाब दिए जाएं

सीपीएम ने मांग की है कि सरकार बताए कि सेंट्रल दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के नजदीक की कौन सी इमारतों को गिराने की तैयारी है। बनने वाली नई इमारतों और उनकी लागत के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। सरकार को समूचे सेंट्रल विस्टी के पुननिर्माण की अवधि, मास्टर प्लान में होने वाले बदलाव, प्रभावित होने वाली कुल जमीन और पर्यावरण पर इसके असर के बारे में बताना चाहिए।

ऐतिहासिक इमारतों पर क्या असर होगा

सीपीएम का कहना है कि सरकार को फिलहाल सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की परियोजना को रोक देना चाहिए और इस पर पहले संसद में चर्चा करनी चाहिए क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली में यह अपने तरह का अद्भुत क्षेत्र है। उसका कहना है कि इसके विकास के लिए मास्टर प्लान की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और इसमें कोई बदलाव कानून के मुताबिक तय प्रक्रिया से ही किया जाना चाहिए। दिल्ली की एतिहासिक इमारतों पर पड़ने के बारे में असर के बारे में कोई जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

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TAGS: Central Vista, CPI(M), Parliament, Delhi
OUTLOOK 09 February, 2020
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