कोरोना वायरस से 2 और भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की मौत, अब तक 7 ने गंवाई जान
मध्यप्रदेश के भोपाल में कोरोनावायरस से गैस त्रासदी पीड़ित भी प्रभावित हैं। एक अधिकारी ने कहा कि दो और भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों ने कोरोनावायरस से दम तोड़ दिया। मध्य प्रदेश की राजधानी में इस तरह की मौतों की संख्या सात हो गई।
गैस हादसे के पीड़ित लोगों के लिए काम करने वाली भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शनविच की रचना ढींगरा ने बताया, "17 अप्रैल को एक 70 वर्षीय गैस हादसे में जीवित बचे व्यक्ति की मृत्यु हो गई, जबकि 60 वर्षीय एक अन्य त्रासदी पीड़ित की मृत्यु 14 अप्रैल को हुई।"
उन्होंने बताया कि दोनों पीड़ितों के नमूने उनकी मृत्यु के बाद कोरोनावायरस पॉजिटिव निकले।
कोरोनावायरस के प्रति अधिक संवेदनशील हैं गैस त्रासदी पीड़ित
उन्होंने कहा, 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से बचे लोग कोरोनावायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हैं और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है। इस महीने की शुरुआत में, गैस रिसाव के पांच पीड़ितों की मौत यहां कोरोनावायरस बीमारी के कारण हुई थी।
गैस दुर्घटना के बचे लोगों के इलाज के लिए समर्पित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को हाल ही में कोरोनोवायरस रोगियों के लिए चिकित्सा सुविधा में बदल गई थी, जिससे इन लोगों को कठिनाई हुई। हालांकि, पांच मौतों पर नाराजगी के बाद, सरकार ने गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए एक सुविधा के रूप में फिर बीएमएचआरसी को वर्गीकृत किया।
अब तक सात लोगों की मौत
ढींगरा ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के पहले कोरोनावायरस पीड़ित 55 वर्षीय व्यक्ति की 5 अप्रैल को शहर के अस्पताल में मौत हो गई। एक अन्य 80 वर्षीय गैस त्रासदी पीड़ित जो कि भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) का एक सेवानिवृत्त कर्मचारी था, उसकी 8 अप्रैल को मृत्यु हो गई और उसका नमूना 11 अप्रैल को पॉजिटिव निकला। इसके अलावा, एक 40 वर्षीय गैस त्रासदी पीड़ित, जो एक वर्ष से अधिक समय से मुंह के कैंसर से पीड़ित था, उसकी 12 अप्रैल को मृत्यु हो गई और उसकी नमूना भी बाद में कोरोना पॉजिटिव पाया गया।
उन्होंने कहा, एक अन्य 52 वर्षीय गैस दुर्घटना में जीवित बचे व्यक्ति की हमीदिया अस्पताल में कोविड-19 वार्ड में मृत्यु हो गई। साथ ही, एक 75 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार, जो गैस त्रासदी से बचे थे उनकी 11 अप्रैल को मृत्यु हो गई और उनकी नमूना परीक्षण रिपोर्ट 14 अप्रैल को पॉजिटिव आई।
'गैस त्रासदी पीड़ितों की वशेष देखभाल की ज़रूरत'
21 मार्च को गैस त्रासदी से बचे लोगों के कल्याण के लिए काम करने वाले कुछ संगठनों ने संबंधित राज्य और केंद्रीय अधिकारियों को लिखा कि भोपाल गैस पीड़ितों की भारी संख्या 1984 में यहां यूनियन कार्बाइड कारखाने में लीक हुई जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण श्वसन, हृदय, गुर्दे की समस्याओं और कैंसर से पीड़ित हैं। उन्होंने दावा किया कि ये बचे अन्य लोगों की तुलना कोविड-19 से कम से कम पांच गुना अधिक असुरक्षित हैं और इसलिए, विशेष देखभाल की आवश्यकता है। ढींगरा ने कहा, राज्य के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, भोपाल में अब तक कोविड -19 के कारण सात मौतें हुई हैं। सभी मृतक गैस त्रासदी पीड़ित थे।