झारखण्ड में दो और औद्योगिक शहर बसेंगे, डीएफसी के करीब हो रही है जमीन की तलाश
औद्योगिक नगरी जमदेशपुर और बोकारो से ख्यात झारखण्ड में दो और औद्योगिक शहर बसाने की योजना बन रही है। प्रदेश में अनेक आद्योगिक क्षेत्र है, नये औद्योगिक पार्क भी विकसित किये जा रहे हैं। मगर नये औद्योगिक शहर से उन इलाकों का समेकित विकास होंगा तो रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आजादी के तुरंत बाद रांची में भारी अभियंत्रण निगम ( एचईसी) की स्थापना हुई। इसने रांची को अलग पहचान दिलाई बाद में कई इंडस्ट्रियल एरिया भी खुले। मगर राजधानी बनने के बाद रांची की पहचान तेजी से बदली।
झारखण्ड में दो नये औद्योगिक शहर विकसित करने का प्रस्ताव केंद्र ने दिया है। ये शहर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ( डीएफसी) के किनारे बसाये जायेंगे। कोलकाता-अमृतसर ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर झारखण्ड से कोई दो सौ किलोमीटर दूरी तय करेगी। दो औद्योगिक शहर के लिए केंद्र सरकार ने इस फ्रेट कॉरिडोर के करीब अच्छी कनेक्टिविटि वाली जमीन मांगी है। दोनों औद्योगिक शहर के लिए डेढ़-डेढ़ हजार एकड़ जमीन चाहिए। केंद्र और राज्य की बराबर की हिस्सेदारी से इन्हें विकसित किया जायेगा। केंद्र के प्रस्ताव के बाद उद्योग विभाग ने जिलों से जमीन के संबंध में प्रस्ताव, जानकारी मांगी है। पहले केंद्र सरकार ने जीटी रोड के पास औद्योगिक नगरी बसाने का प्रस्ताव दिया था। राज्य सरकार ने बरही इंडस्ट्रियल एरिया का प्रस्ताव दिया तो केंद्र ने नामंजूर कर दिया और नयी जमीन तलाशने को कहा। इस दिशा में भी काम चल रहा है। केंद्र का कहना है कि जमीन ऐसी जगह हो जहां पहले से औद्योगिक गतिविधियां न हों। इसी को ध्यान में रखते हुए नये सिरे से जमीन की तलाश की जा रही है। रेल-रोड कनेक्टिविटी का भी खास ख्याल रखना है। झारखण्ड में आयरन, कोल आदि का अकूत भंडार है। सस्ते श्रमिक भी प्रचुर मात्रा में हैं। ऐसे में औद्योगिक इकाई का रास्ता आसान है। उद्योग निदेशक जितेंद्र कुमार के अनुसार सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द जमीन की पहचान कर योजना को आकार दिया जाये। औद्योगिक शहर के साथ टाउनशिप भी विकसित होगा जिससे आधारभूत संरचना के काम के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
बता दें कि इसी साल का केंद्रीय बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोलकाता-अमृतसर ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के सोननगर-गोमा और गोमो-दानकुनी खंड के निर्माण की घोषणा की है। ये दोनों खंड झारखण्ड से गुजरेंगे करीब दो सौ किलोमीटर। इसे जून 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इससे होकर केवल मालगाड़ियां गुजरेंगी। जिससे औद्योगिक उत्पाद या कच्चे माल तेजी से गंतव्य तक पहुंचेंगे। झारखण्ड के उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पहली नजर में कॉरिडोर के करीब गोमो का इलाका दिख रहा है। जमीनी स्थिति का पता लगने के बाद बात आगे बढ़ेगी। बड़े पैमाने पर जमीन चाहिए वह भी विवाद रहित।