उत्तर प्रदेश विधानसभा में संगठित अपराध रोकने का बिल पारित
संगठित अपराध को रोकने और आतंक फैलाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए बने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण कानून (यूपीकोकब ) बिल 2017 को आज राज्य की विधानसभा ने पारित कर दिया। यह बिल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेश किया। विपक्ष ने बिल को कठोर बताते हुए विधानसभा से वाकआउट किया। यह बिल विधानसभा में दोबारा पेश किया गया था क्योंकि विधान परिषद में यह पारित नहीं हो सका था। यहां भाजपा को बहुमत नहीं है।
यूपीकोकब महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर बना है। बिल को चर्चा के लिए पेश करने हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कहा कि कानून व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए उनकी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के अच्छे परिणाम निकले हैं, लेकिन अपराध पर पूर्ण नियंत्रण के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संगठित अपराध एक जिले या एक राज्य का नहीं बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषय बन गया है। सरकार के प्रयास और अच्छे परिणाम के बावजूद महसूस किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अपराध पर पूर्ण नियंत्रण के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है।
चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा कि इस कड़े कानून का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल द्वारा अपने वि्रोधियों के खिलाफ किया जा सकता है। सपा नेता ने आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है।
बसपा के लालजी वर्मा ने कि नया कानून अलोकतांत्रिक है। उन्होंने आशंका जताई कि राजनीतिक विवाद में भी इसका दुरुपयोग किया जा सकता है और नए कानून के तहत पत्रकार भी फंसाए जा सकते है। कांग्रेस के अजय कुमार लान ने बिल को कठोर बताते हुए इसे सदन की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की।
विरोधी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि यह बिल नेताओं, किसानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को दबाने के लिए लाया गया है। इतना ही नहीं यह संविधान द्वारा दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ भी है। संपूर्ण विपक्ष ने बिल को ‘काला कानून’ बताते हुए सदन से वाकआउट किया। इसके बाद सरकार ने विपक्ष की गैरमौजूदगी में बिल को सर्वसम्मति से पास कर दिया। मुख्यमंत्री ने बिल की विशेषता बताते हुए कहा कि विपक्ष की इसके दुरुपयोग किए जाने की आशंका निर्मूल है।