यूपी में 68 हजार 500 शिक्षक भर्ती की होगी सीबीआई जांच
उत्तर प्रदेश सरकार की पहली ही 68 हजार पांच सौ पदों पर होने वाली शिक्षकों की भर्ती विवादों की भेंट चढ़ गई है। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीबीआई जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा अखिलेश सरकार में हुई 12460 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती रद करने के आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दिए हैं।
अब दोनों मामलों में सरकार डबल बेंच में विशेष अपील दाखिल करेगी। यहां से भी राहत न मिलने पर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। मुख्यमंत्री ने दोनों भर्तियों के तहत नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखने के हरसंभव उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने भर्ती से जुड़ी दर्जनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों को स्क्रूटनी में रखा गया था, उनके भी चयन पर अब तक निर्णय नहीं लिया गया। सरकार की जांच कमिटी में दो सदस्य बेसिक शिक्षा विभाग के ही हैं, जबकि उसी विभाग के अधिकारी जांच के दायरे में हैं। प्रथमदृष्टया लगता है कि अधिकारियों ने अपने अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारों की दुरुपयोग किया। जिन अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में कम मार्क्स मिले, उनके अंक बढ़ा दिए। वहीं कुछ अभ्यर्थियों को फेल दिखाने के लिए कॉपियां फाड़ दी गईं और पन्ने बदल दिए गए। बार कोडिंग करने वाली एजेंसी ने खुद स्वीकार किया है कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदली गईं। इसके बावजूद उसके खिलाफ कोई सख्त ऐक्शन नहीं लिया गया। कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को छह महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही 26 नवंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है। कोर्ट ने कहा है यदि जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता सामने आती है तो सक्षम अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें।
12,460 सहायक बेसिक शिक्षकों का चयन भी रद्द
इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बोर्ड आफ बेसिक एजूकेशन द्वारा किए गए 12,460 सहायक बेसिक शिक्षकों के चयन को भी रद्द कर दिया है। इन भर्तियों के लिए प्रकिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में हुई थी। कोर्ट ने कहा कि ये भर्तियां यूपी बेसिक एजूकेशन टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के नियमों के तहत नए सिरे से काउसिंलिग कराकर पूरी की जाए। चयन प्रकिया के लिए वही नियम लागू किए जाएंगे जो इनकी प्रकिया प्रारंभ करते समय बनाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि सारी प्रकिया तीन माह के भीतर पूरी की जाए। यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने दो दर्जन से अधिक याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया।