बदली-बदली सी माया, क्या निकाय चुनाव में ‘हाथी’ की सवारी करेंगे मतदाता
उत्तरप्रदेश में 22, 26 और 29 नवंबर को तीन चरणों में निकाय चुनावों के लिए वोट डाले जाएंगे। लगातार तीन चुनावों में करारी शिकस्त के बाद यह बसपा और उसकी सुप्रीमो मायावती के लिए खोई जमीन और प्रतिष्ठा वापस पाने का मौका साबित हो सकता है। यही कारण है कि 1995 के बाद पहली बार बसपा पार्टी निशान ‘हाथी’ पर निकाय चुनाव लड़ रही है।
मायावती ने राजधानी लखनऊ में डेरा डाल रखा है। नियमित रूप से वे जोन और डिविजन स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही हैं। चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों के चयन पर भी उनकी नजर है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि वे बता रही हैं कि हमें किस तरह चुनाव मैदान में उतरना है। एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'बसपा का आधार शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा मजूबत है, लेकिन शहरी इलाकों में अपने आधार को बढ़ाने के लिए पार्टी ने निकाय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। हम पूरी तैयारी के साथ उतरने वाले हैं और कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।'
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बसपा के लिए इन चुनावों को गंभीरता से लेना वक्त का तकाजा भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था, जबकि इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उसे 403 में से केवल 19 सीटें मिली थी। ऐसे में एक और नाकामी पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर गहरा असर डाल सकती है। कई बड़े नेता मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं।
इसका अहसास मायावती को भी है। यही कारण है कि वह इन चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रही हैं। कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद कर रही हैं। पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची दो-तीन दिन में जारी हो सकती है। वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा, राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ, पूर्व मंत्री नकुल दुबे, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री अनंत मिश्रा और शमसुद्दीन राइन पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। हालांकि मायावती प्रचार के मैदान में उतरेंगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है।