यूपीः बनारसी सिल्क की लागत में आएगी कमी; बढ़ेगा उत्पादन, बन रहा सिल्क एक्सचेंज
लखनऊ। पारंपरिक रेशम उद्योग से जुड़े हुए कारीगरों के हुनर और हौसलों को नई उड़ान मिलने जा रही है। योगी सरकार ने पिछले कार्यकाल में पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा दिया है और दूसरे कार्यकाल में भी इनके उत्थान के लिए बड़े कदम उठा रही है। वाराणसी में सिल्क एक्सचेंज बनाने के लिए तैयारी पूरी कर ली गयी है। इससे बनारसी सिल्क की लागत में कमी आएगी और उत्पादन भी बढ़ेगा।
सिल्क एक्सचेंज से व्यापारियों और बुनकरों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण रेशम मिलेगी। इसके लिए सरकार बुनकरों को कच्चा रेशम उपलब्ध कराने के लिए सिल्क एक्सचेंज में कर्नाटक सिल्क मार्केटिंग बोर्ड (केएसएमबी) कार्यालय खोलने जा रही है।
सिल्क एक्सचेंज खोलने के पीछे सरकार की मंशा है कि बुनकरों को अच्छी क्वालिटी का 'रा मटैरियल' उचित मूल्य पर मिले। इससे रेशम व्यापारियों और विनिर्माण इकाइयों के लिए लागत भी कम हो जाएगी। अगले छह महीने में क्षेत्र के बुनकरों को सिल्क एक्सचेंज से भी जोड़ने की योजना है। वहीं, ओडीओपी योजना के तहत सिल्क एक्सचेंज के डिजिटाइजेशन पर भी काम किया जाएगा।
सिल्क एक्सचेंज के चालू होने के बाद बुनकरों, सूत बनाने वाली इकाइयों और सिल्क एक्सचेंज को डिजिटलीकरण के जरिए एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। इससे बुनकरों के तैयार रेशम उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शनी के लिए एकल मंच की उपलब्धता भी होगी।
सिल्क एक्सचेंज क्या है -
राज्य के भीतर उत्पादित कच्चे रेशम के विपणन की सुविधा के लिए सरकार सिल्क एक्सचेंज की स्थापना कर रही है। उत्तर प्रदेश के बुनकर उनके द्वारा उत्पादित रेशम को बिक्री के लिए सिल्क एक्सचेंज में लाएंगे। इस तरह से लाए गए सभी रेशम की गुणवत्ता के लिए पहले परीक्षण किया जाएगा और फिर प्रत्येक लॉट का फ्लोर प्राइस राज्य में औसत रेशम मूल्य और विशेष लॉट की गुणवत्ता के आधार पर तय किया जाएगा। फिर रेशम के लॉट को नीलामी के लिए रखा जाता है। एक्सचेंज बुनकरों को तुरंत भुगतान भी सुनिश्चित करेगा।
सिल्क एक्सचेंज का संचालन रेशम उद्योग को स्थिर करेगा और निजी उद्यमियों द्वारा उद्योग में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा। यह फाइनेंसरों और कमीशन एजेंटों जैसे बिचौलियों को भी खत्म कर देगा और उत्तर प्रदेश में रेशम के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संबंध स्थापित करेगा।