उपहार अग्निकांड: अंसल बंधुओं के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप बरकरार
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेटी अदालत के पास रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है जो अंसल बंधुओं और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए जाने को न्यायोचित ठहराती है। पीठ ने कहा कि सामग्री ने इस बात को लेकर गहरा संदेह पैदा किया कि आरोपियों ने अपराध को अंजाम दिया और इसके लिए उचित रूप से आरोप तय किए गए। पीठ ने मजिस्टेट की अदालत को मामले की आगे सुनवाई करने का आदेश दिया।
मजिस्टेट की एक अदालत ने 31 मई 2014 को आईपीसी के तहत अपराध के लिए उसकाने, सबूत को गायब करने, लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात करने और आपराधिक षड़यंत्र के तहत सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। थियेटर मालिक गोपाल अंसल और उसके भाई सुशील अंसल, अनूप सिंह, प्रेम प्रकाश बत्रा, हरस्वरूप पंवार, धर्मवीर मल्होत्रा और दिनेश चंद्र शर्मा वर्ष 2006 से लंबित मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपी हैं। सभी आरोपियों ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है।
उच्च न्यायालय ने आरोपियों की पुनर्विचार याचिकाओं के हस्तांतरण की मांग करने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका को पिछले साल मार्च में विचारार्थ स्वीकार कर लिया था। उच्च न्यायालय ने इस मामले को अपने पास हस्तांतरित कर लिया था और कहा था कि न्यायिक प्रणाली की गरिमा एवं गौरव की रक्षा करने और उसे बरकरार रखने तथा कानून की अदालत में नागरिकों का भरोसा सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है।
उच्च न्यायालय के पास याचिकाओं के हस्तांतरण के लिए सभी पक्षों की सहमति के बाद यह आदेश दिया गया था। अंसल बंधुओं, मल्होत्रा और सिंह ने मामले में उनके खिलाफ आरोप तय किए जाने के संबंध में मजिस्ट्रेटी अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, दिल्ली पुलिस यहां पटियाला हाउस अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में लंबित पुनर्विचार याचिकाओं का हस्तांतरण किसी ऐसी योग्य अदालत को करने की मांग को लेकर उच्च न्यायलय पहुंची थी, जिसके पास इनकी सुनवाई का अधिकार हो।
बॉलीवुड फिल्म बार्डर की स्क्रीनिंग के दौरान 13 जून 1997 को थियेटर में आग लग जाने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। एक अदालत ने उपहार मामले संबंधी कुछ दस्तावेजों के अदालत के रिकॉर्ड कक्ष से गायब होने के बाद 31 जनवरी 2003 को जांच का आदेश दिया था। जांच के बाद अदालत के एक कर्मी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। (एजेंसी)