अखिलेश सरकार के चार साल : उपलब्धियों के साथ वादे निभाने की चुनौतियां भी
चुनावी साल में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने घोषणापत्र के वे जटिल वादे पूरे करने की होगी, जो अब सरकार की नीति और नीयत का प्रश्न बन गये हैं। दूसरी ओर, विपक्षी दलों के मुताबिक पिछले चार साल के दौरान अखिलेश के शासन में सूबा विकास की दौड़ में पिछड़ने के साथ-साथ अराजकता के शिकंजे में जकड़ गया है। सपा के प्रान्तीय सचिव एस. आर. एस. यादव ने बताया कि सपा सरकार के चार साल पूरे हो गये हैं। प्रशासनिक दृष्टि से देखें तो यह उत्तर प्रदेश की सफलतम सरकार है, जिसने अपने कार्य से दूसरे राज्यों के लिये आदर्श और मानक तय किये हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कोशिश रही है कि समाज का हर वर्ग योजनाओं से लाभान्वित हो। जनता के बीच अखिलेश की छवि बेदाग और ईमानदार मुख्यमंत्री की है। अखिलेश ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में कत्ल किये जा चुके लोकतंत्र को फिर से जिंदा किया है। अगर किसी को तुलना करनी हो तो मायावती का जमाना याद कर ले, जिसमें मुख्यमंत्री से मिलना तो दूर, किसी को अपनी जायज मांगों के लिये प्रदर्शन करने तक की मनाही थी। यादव ने कहा कि सरकार ने जनता के लिये काम किया है और अब इस पर उसकी राय जानने के लिये समाजवादी जनसंवाद अभियान के तहत गांव-गांव अखिलेश यात्रा शुरू की है। इससे मिलने वाली रिपोर्ट की मदद से खामियों को पहचानकर उन्हें दूर किया जाएगा।