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03 September 2019

यूपी में बिजली की दरों में 36 फीसदी तक इजाफा, किसान से लेकर मध्यमवर्ग पर सीधा असर

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली की नई दरें जारी कर दी हैं। बिजली की सभी श्रेणियों में औसतन 12 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। शहरी बीपीएल का स्लैब कम करने से उसकी दरों में लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि, ग्रामीण अनमीटर्ड की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि, किसानों की दरों में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। बढ़ी हुई दरें तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई हैं।

किसान, बीपीएल परिवार और मध्यम वर्ग पर सीधे असर

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पॉवर कॉरपोरेशन के सिफारिशों के आधार पर मंगलवार देर शाम बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली की समस्त श्रेणियों की दरों में औसतन 12 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की है। नए आदेश के तहत , जहां रेगुलेटरी सरचार्ज 4.8 प्रतिशत को समाप्त कर दिया गया है, वहीं रेगुलेटरी असेट 11852 करोड़ का उपभोक्ताओं को फौरी तौर पर लाभ नहीं दिया गया है। नई दरों के अनुसार ग्रामीण अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ता जो पहले एक किलोवाट पर 400 रुपए देते थे, अब उन्हें 500 रुपए देने पड़ेंगे, यानी 25 प्रतिशत वृद्धि की गई है। गांव में जिन किसानों को अनमीटर्ड कनेक्शन मिला हुआ उन्हें 150 रुपये प्रति हार्सपावर अब उसे 170 रुपये प्रति हार्सपावर चार्ज देना होगा, यानी लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी। सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला यह है कि शहरी बीपीएल श्रेणी के लोग जो अभी तक एक किलोवाट तक के कनेक्शन पर 100 यूनिट तक तीन रुपए प्रति यूनिट के आधार पर चार्ज देते था, उन्हें अब एक किलोवाट तक 50 यूनिट पर ही तीन रुपया चार्ज का फायदा मिलेगा, यानी शहरी बीपीएल यदि 100 यूनिट खर्च करेगा तो उसकी दरों में लगभग 36 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि कर दी गयी है। वहीं, ग्रामीण बीपीएल परिवार को 100 यूनिट और शहरी बीपीएल को 50 यूनिट माना गया है। इसी प्रकार प्रदेश के शहरी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में स्लैब वाइज लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। वहीं उद्योगों की दरों पांच से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है।

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रिव्यू याचिका दायर करने की तैयारी

उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग ने असंवैधानिक तरीके से पावर कारपोरेशन की प्रस्तावित व्यवस्था पर मुहर लगाई है। प्रदेश के दो करोड़ 70 लाख उपभोक्ताओं के साथ आयोग ने धोखा किया है। आयोग के फैसले पर उपभोक्ता परिषद रिव्यू याचिका दायर करेगी और दरें नहीं कम करने पर सड़कों पर संघर्ष किया जाएगा। आम जनता की सुनवाई में किसानों, ग्रामीणों और घरेलू उपभोक्ताओं ने आयोग के सामने अपनी बात रखी, लेकिन आयोग ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, जो अपने आप में बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि आयोग की टैरिफ बनाने की प्रक्रिया पर सवाल उठना लाजमी है। उदाहरण के तौर पर गांव में बीपीएल उपभोक्ता को एक किलोवाट 100 यूनिट मानकर उनकी दरें तीन रुपए रखी गई हैं। वहीं, शहरी बीपीएल को एक किलोवाट 50 यूनिट तक सीमित कर दिया गया है। आयोग का यह नियम समझ से परे है।

 सरकार तुरंत पुनर्विचार करे तो बेहतर: मायावती

प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाए जाने पर बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि "उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढेगा, उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त और कष्टदायी होगा। सरकार इसपर तुरन्त पुनर्विचार करे तो यह बेहतर होगा।"

 भाजपा कार्यकाल में दरें कम, बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े: श्रीकांत

बसपा सुप्रीमो के ट्विट के जवाब में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी ट्विट कर जवाब दिया कि पूर्व सरकारों के भ्रष्टाचार के चलते बिजली दरों में लगभग 11.50% की ही बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही 4.50 फीसदी रेग्युलेटरी चार्ज समाप्त हुआ है। यानी लगभग 7.40% की ही बढ़ोतरी हुई है। वहीं प्रदेश में 40% बिजली आपूर्ति बढ़ी है। एक अन्य ट्विट में उन्होंने कहा कि बहन जी ये सपा बसपा के पाप रहे कि भ्रष्टाचार बढ़ता गया और बिजली कंपनियां भारी घाटे में चली गईं। सपा बसपा के कार्यकाल में सिर्फ दरें बढ़ती थीं। भाजपा के कार्यकाल में दरें कम और बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े हैं।

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TAGS: uttar pradesh, electric charge, adityanath, up increase electicity charge
OUTLOOK 03 September, 2019
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